कोच्चि मेट्रो प्रशासन ने जब 21 किन्नरों को नौकरी देने का फैसला लिया, तो सबने खुले दिल से इसकी तारीफ की, लेकिन मेट्रो शुरू होने के हफ्ते भर बाद ही इनमें से नौ किन्नरों ने नौकरी छोड़ दी. इन लोगों का कहना है कि कोच्चि मेट्रो की ओर से मिल रही तनख्वाह में गुजारा नहीं हो पा रहा और शहर में चीजें बहुत महंगी हैं.
कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (केआरएमएल) प्रशासन ने शनिवार को इस मसले पर जिला कलेक्टर और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से मिलकर किन्नर कर्मचारियों के लिए सस्ती और वहन करने योग्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने की मांग की.
कोच्चि मेट्रो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमारे मैनेजिंग डायरेक्टर ने कलेक्टर से बात की है. इसके साथ ही हम लोग प्राइवेट पार्टियों और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से मिलकर उनके लिए व्यवस्था बना रहे हैं.'
बता दें कि टिकटिंग सेक्शन में काम कर रहे लोगों को 10,500 रुपये प्रति माह बतौर तनख्वाह मिलती है, जबकि हाउसकीपिंग में लगे लोगों को 9000 रुपये प्रति माह तनख्वाह मिलती है, जबकि काम के घंटे 8 घंटे होते हैं.
टिकटिंग अधिकारी शीतल श्याम ने बताया कि 'कई सारे घर किराए पर उपलब्ध हैं, लेकिन मकान मालिक किन्नरों को देने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में हमें 600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लॉज में रहना पड़ रहा है. रहने के लिए मकान का न मिल पाना अप्रत्याशित मुद्दा है.'
केएमआरएल इन लोगों को सीधे तौर पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर उसे 628 कुदुंबश्री वर्करों को यही सुविधा उपलब्ध करानी पड़ेगी. एक अधिकारी ने कहा, 'दोनों पक्ष एक ही कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी कर रहा है और हमें इस बात का ध्यान रखना है.'
ऐसी ही एक कर्मचारी शीतल ने कहा कि केएमआरएल कर्मचारियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर रहा है. हम में से कई लोगों को शेल्टर होम मिल गया है. कुदुंबश्री ने भी मदद करने का वादा किया है.