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केरल: सबरीमाला भक्त पर हमले के आरोप में बीजेपी उम्मीदवार को मिली जेल

कोझिकोड से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार प्रकाश बाबू को यहां की एक अदालत ने सबरीमाला की एक महिला भक्त पर हमले के मामले में गुरुवार को जेल भेज दिया. महिला भक्त पर हमला पिछले साल नवंबर में हुआ था.

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सबरीमाला मंदिर
सबरीमाला मंदिर

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कोझिकोड से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोकसभा उम्मीदवार प्रकाश बाबू को स्थानीय अदालत ने सबरीमाला की एक महिला भक्त पर हमले के मामले में गुरुवार को जेल भेज दिया. महिला भक्त पर हमला पिछले साल नवंबर में हुआ था. बाबू भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की राज्य इकाई के अध्यक्ष भी हैं.

बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार प्रकाश बाबू ने गुरुवार को कोझिकोड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अपना प्रचार अभियान शुरू किया. इसी बीच उन्होंने खुद को पम्बा पुलिस थाने में पेश किया, जहां उनके खिलाफ मामला दर्ज है. पुलिस ने बाद में उन्हें रन्नी सीजेएम कोर्ट में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और बाबू को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सबरीमाला मंदिर सभी उम्र की महिलाओं के लिए खोले जाने के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रहने के मामले में प्रकाश बाबू ने जमानत याचिका दायर की थी. 

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क्या है सबरीमाला विवाद

पिछले साल दो महिलाओं बिंदु और कनकदुर्गा ने दावा किया कि उन्होंने तड़के सबरीमाला मंदिर में भगवान के दर्शन किए. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से कई महिला श्रद्धालु और महिला सामाजिक कार्यकर्ता मंदिर जाने की कोशिश कर चुकी थीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इन दोनों महिलाओं के मंदिर में जाने के बाद 'मंदिर की शुद्धि' का हवाला देते हुए दरवाजे बंद कर दिए गए, जिन्हें दोपहर 12 बजे के आसपास दोबारा खोल दिया गया.

2006 में मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि मंदिर में स्थापित अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं और वह इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है.

कन्नड़ अभिनेता प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने दावा किया था कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ और उनकी वजह से ही अयप्पा नाराज हुए. उन्होंने कहा था कि वह प्रायश्चित करना चाहती हैं. जयमाला ने दावा किया था कि 1987 में वह अपने पति के साथ जब मंदिर में दर्शन करने गई थीं तो भीड़ की वजह से धक्का लगने के चलते वह गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं. जयमाला का कहना था कि वहां पुजारी ने उन्हें फूल भी दिए थे.

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका

जयमाला के दावे पर केरल में हंगामा होने के बाद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया. 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की. इसके बावजूद अगले 10 साल तक महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला लटका रहा.

28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है. यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है, यह स्वीकार्य नहीं है.

फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन

इसके बाद से सबरीमला में हिंदू समूहों की ओर से लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है. महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में भी कई संगठन सामने आए. मंदिर के पुजारियों ने अपना पक्ष रखने के लिए यहां तक दलील दी कि देवता को भी मौलिक अधिकार हासिल हैं.

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केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने भी मंदिर में महिलाओं के जाने की पुष्टि की और कहा कि जो भी महिला मंदिर जाना चाहती हैं, उन्हें सुरक्षा दी जाए. इन दोनों महिलाओं ने पिछले महीने भी मंदिर के दर्शनों की कोशिश की थी, लेकिन असफल रही थीं. 2 जनवरी को इनके दर्शन करने के बाद कथित तौर पर बीजेपी-आरएसएस कार्यकर्ताओं ने मंदिर के पास महिलाओं, पुलिस और मीडिया पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

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