सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा तोड़ते हुए और तमाम विरोध के बाद केरल के सबरीमाला मंदिर में 40 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं ने आज सुबह मंदिर में प्रवेश किया और भगवान के दर्शन किए. मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं का नाम बिंदु अमीनी और कनकदुर्गा है. इनके दर्शन करने के बाद आजतक ने बिंदु अमीनी से बात की और कई सवाल पूछे.
सवाल: आप 3 बजे मंदिर में दर्शन करने गईं, क्या वहां कोई परेशानी हुई?
जवाब: हमने रात 1.30 बजे मंदिर में जाना शुरू किया था.
सवाल: आप मंदिर में पुलिस सुरक्षा के बीच गईं थीं, क्या घर पर भी आपको पुलिस सुरक्षा मिल रही है?
जवाब: हम जैसे ही मंदिर से बाहर आए हमने पुलिस सुरक्षा की मांग की.
सवाल: क्या आपके परिवार को किसी तरह की कोई धमकी दी जा रही है?
जवाब: बीजेपी के कई लोग हैं जो छोटे स्तर पर विरोध कर रहे हैं, लेकिन बड़े स्तर पर अभी कोई विरोध नहीं है. राजनीतिक एजेंडा रखने वाले लोगों के अलावा कोई और नहीं है जो हमारे खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा हो.
सवाल: आप दोनों के मंदिर में प्रवेश करने के बाद क्या आपको लगता है कि ऐसा करना अन्य महिलाओं के लिए आसान होगा?
जवाब: हम दोनों लाखों महिला श्रद्धालुओं और समाज में लैंगिग न्याय (जेंडर जस्टिस) के लिए लड़ने वाली महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सवाल: क्या आप आगे भी इसके लिए लड़ाई जारी रखेंगे?
जवाब: हमें नहीं पता कि हमारे इस कदम का क्या असर होगा, लेकिन हम अंत तक लड़ाई जारी रखेंगे.
क्या है सबरीमाला मामला?
बता दें कि केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में 10 साल लेकर 50 साल वर्ष तक की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी. यहां की परंपरा के अनुसार माना जाता था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और जो महिलाएं रजस्वला होती हैं, उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसके परंपरा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ बनाई थी. इसने 4-1 से फैसला दिया था कि सबरीमाला मंदिर में किसी भी आयु वर्ग की महिला को प्रवेश से रोका नहीं जा सकता. इस पांच सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर शामिल थे.