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सबरीमाला पर संग्राम: बीजेपी के लिए दक्षिण में पैर जमाने का मौका?

सबरीमाला मंदिर में बुधवार को महिलाओं के एंट्री करेंगी. इसे लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी इस मुद्दे को लेकर दक्षिण भारत में पैर जमाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

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सबरीमाला में एंट्री को लेकर बीजेपी का विरोध प्रदर्शन (फोटो-twitter)
सबरीमाला में एंट्री को लेकर बीजेपी का विरोध प्रदर्शन (फोटो-twitter)

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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी पर केरल में बवाल हो गया है. अयप्पा के कई भक्त इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. खास बात ये है कि देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी इन भक्तों के साथ खड़ी हो गई है. इसे दक्षिण भारत में पैर जमाने की पार्टी की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि अयप्पा के भक्त सिर्फ केरल में ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत में फैले हुए हैं और बीजेपी 2019 से पहले साउथ में अपना बेस बढ़ाने के लिए जी-जान से जुटी है.

केरल की धरती एक बार फिर लेफ्ट-राइट का राजनीतिक अखाड़ा बनी हुई है. सबरीमाला मंदिर का कपाट बुधवार को 5 दिन की मासिक पूजा के लिए खुलने वाला है. महिला संगठनों ने उसमें प्रवेश की योजना बनाई है. केरल की वामपंथी सरकार इसकी व्यवस्था बनाने में जुटी है. लेकिन बीजेपी सहित कई राजनीतिक पार्टियों और धार्मिक संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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बीजेपी की मांग है कि केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करे. सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने तिरुवनंतपुरम की सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन भी किया.

दरअसल, देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद से बीजेपी का सबसे बड़ा लक्ष्य त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और केरल में कमल खिलाने का है. ये राज्य न सिर्फ सियासी रूप से उसके लिए अहम हैं बल्कि वामपंथ से वैचारिक दुश्मनी के चलते भी वो इन राज्यों में अपना आधार खड़ा करना चाहती है. त्रिपुरा में उसे कामयाबी मिल गई है. केरल के भी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उसे एक बड़ा मौका दे दिया है.

हिंदू मतों के लिए लड़ रहे लेफ्ट-राइट

केरल में वामपंथी पार्टियों का आधार हिंदू वोटर हैं, तो वहीं कांग्रेस का ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं में अच्छा आधार है. बीजेपी अभी तक केरल में सियासी जगह बनाने में सफल नहीं हो सकी है. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट राज्य में 6.4 फीसदी से बढ़कर 10.33 तक पहुंच गया था. एनडीए का कुल वोट राज्य में 15 फीसदी था.

विधानसभा में खुला था खाता

केरल विधानसभा चुनाव 2016 में बीजेपी ने खाता खोला. केरल की 140 विधानसभा सीटों में से एक सीट नेमोम पर बीजेपी के राजगोपाल ने जीत हासिल की. केरल की कुछ सीटें ऐसी भी रहीं जहां बीजेपी दूसरे स्थान पर रही.  इससे वामपंथी गठबंधन में बेचैनी है.

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केरल का सामाजिक तानाबाना

केरल के सामाजिक हालात देश के बाकी हिस्सों से एकदम अलग हैं. केरल में हिंदुओं की आबादी करीब 52 पर्सेंट है. इसके अलावा 27 फीसदी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई आबादी है. केरल में मुख्य सियासी मुकाबला लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के बीच रहता है. ऐसे में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए अपने को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है.

केरल में बीजेपी ये है गढ़

राज्य की 20 लोकसभा सीटों में से 2014 के चुनाव में बीजेपी 18 पर चुनाव लड़ी थी और बाकी 2 सीटें अपने सहयोगी दलों को दी थी. इनमें से एक सीट पर वह दूसरे स्थान पर रही और बाकी 17 सीटों पर तीसरे स्थान पर. त्रिवेंद्रम लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजगोपाल दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस उम्मीदवार शशि थरूर को यहां से 2 लाख 97 हजार 806 वोट मिले तो वहीं  बीजेपी के राजगोपाल को 2 लाख 82 हजार 336 वोट. इस तरह शशि थरूर महज 15 हजार 470 वोट से जीतने में कामयाब रहे. इसके अलावा केरल में पांच लोकसभा सीट ऐसी रहीं जहां बीजेपी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले. इनमें  कासरगोड , कोझीकोड, पलक्काड, त्रिशूर  पथनमथीट्टा  लोकसभा सीट है. 8 सीट ऐसी रहीं जहां बीजेपी उम्मीदवार को 70 हजार से 1 लाख वोट मिले.

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