प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को 'मन की बात' कार्यक्रम में देश के हर घर में खादी के एक वस्त्र अपनाने की भावनात्मक अपील की. लगता है प्रधानमंत्री की इस अपील को जनता ने गंभीरता से लिया है. कम से कम दिल्ली में यही जान पड़ता है, क्योंकि अकेले दिल्ली के खादी भवन ने 4 अक्टूबर के दिन 64.70 लाख रुपये की बिक्री कर तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए.
इस बिक्री से उत्साहित सूक्ष्म लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय एक दिन की बिक्री को एक करोड़ रुपये तक ले जाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो पीएम की अपील के बाद एक दिन में बिक्री में 292 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. आम आदमी ही नहीं, सांसद भी अब सीपीडब्लूडी विभाग पर खादी के परदे आदि अपने सरकारी आवास में लगाने की मांग करने लगे हैं. त्योहारों के मौकों पर इस ओर प्रचार अभियान भी शुरू किया जा रहा है, जिसमें लोगों से खादी के उत्पाद को उपहार के तौर पर देने की सलाह दी जा रही है. इसका कैचलाइन है- उत्सव या त्योहार, खादी से अच्छा क्या उपहार.
युवाओं को लुभाने की है रणनीति
खादी के प्रति युवाओं को आकर्षित करने की विस्तृत रणनीति बनाई जा रही है. खादी के उत्पादों से भरे वाहन को कॉलेज आदि जगहों पर ले जाकर बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा है. पहली बार 20 फीसदी छूट के अतिरिक्त छात्रों को 5 फीसदी की छूट का भी ऐलान किया गया है. खादी को डिजाइन कराने के लिए देश के जाने-माने डिजाइनरों, फैशन इंस्टीट्यूट को इस काम से जोड़ा जा रहा है. खादी के जरिए मोदी सरकार की योजना युवाओं में स्वदेशी की भावना जगाने के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देना है.
शहरों में खादी के लिए मैकडोनाल्डस, बरिस्ता आदि के आउटलेट पर खादी ग्रामोद्योग भवन ने कूपन भी रखवाने शुरु किए हैं, जिसके जरिए छूट देकर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है.
बेसहारा क्यों है खादी आयोग
मोदी सरकार भले खादी को नए कलेवर में पेश कर युवाओं को आकर्षित कर रही है, लेकिन उसका दूसरा पहलू यह भी है कि सत्ता में आने के फौरन बाद 24 जुलाई को मोदी सरकार ने खादी ग्रामोद्योग आयोग को भंग करते हुए कहा था कि इसमें आमूल-चूल बदलाव लाया जाएगा. लेकिन न तो अधिकारी और ना ही मंत्री किसी बदलाव की बात स्वीकार करते हैं.
इस आयोग को फिर से गठित करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन तेजी से काम करने की प्रक्रिया में लगे प्रधानमंत्री मोदी इस आयोग का पुनर्गठन नहीं कर पाए हैं. जबकि सूक्ष्म लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय का 2014-15 का कुल बजट 3702 करोड़ रुपये है तो इसमें अकेले खादी ग्रामोद्योग आयोग का बजट 1932 करोड़ रुपये का है.
खादी आयोग का नया मुखिया?
केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र खादी ग्रामोद्योग आयोग के पुनर्गठन को लेकर तीन बार मिल चुके हैं, लेकिन मोदी ने उन्हें संगठन के किसी शख्स से नहीं मिलने की सलाह दी है. हालांकि उस व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं हो पा रहा है, लेकिन जिस तरह से काम चल रहा है उससे साफ है कि अभी खादी आयोग को नया अध्यक्ष मिलना आसान नहीं है. फिलहाल मंत्रालय के संयुक्त सचिव डबल रोल में हैं और वही खादी ग्रामोद्योग आयोग के सीईओ की भूमिका भी अदा कर रहे हैं. जल्द ही वह ट्रिपल रोल में भी नजर आएंगे, क्योंकि उन्हें ही अध्यक्ष की भी अंतरिम जिम्मेदारी दिए जाने के आसार हैं.