जल्दी ही खादी के उत्पाद भी ऑनलाइन खरीदे जा सकेंगे. दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय भारतीय व्यापार मेले में इस बार खादी का पंडाल सभी का ध्यान खींच रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो पर खादी पहनने की अपील के बाद लोगों का खादी की ओर रुझान बढ़ा है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने अपने वाराणसी दौरे के समय कहा था कि देश में प्रचलित ई कॉमर्स का फायदा खादी के उत्पादकों को भी मिलना चाहिए और इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली का खादी ग्रामोद्योग भवन खादी उत्पादों को ऑनलाइन लाने की लगभग सभी तैयारियां पूरी कर चुका है.
रीगल बिल्डिंग स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन के सहायक निदेशक डी. एस. भाटी ने बताया, ‘खादी ग्रामोद्योग आयोग ने ई-कॉमर्स क्षेत्र में जाने के लिए पहले से ही वेबसाइट इत्यादि बना ली है. बस कुछ सरकारी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम बहुत जल्दी ही इसे ई-कॉमर्स मार्केट में लांच करने वाले हैं.’ उन्होंने बताया कि इस कार्य को लेकर सारी प्रारंभिक औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. मेले में आए कई ग्राहकों से जब खादी के ई-कॉमर्स मार्केट में आने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे एक अच्छा कदम बताया और इसकी सराहना की.
मेले में खरीददारी करने आईं दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा शिल्पा जैन ने बताया, ‘अभी खादी के कुछ सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े उत्पाद ही ऑनलाइन मार्केट में मिल पाते हैं और उनके असली खादी उत्पाद होने पर भी संदेह रहता है. ऐसे में यदि ‘खादी’ अपने उत्पादों को ऑनलाइन लाएगा तो बहुत आसानी होगी और स्वयं खादी की वेबसाइट पर सामान मिलने से उसकी गुणवत्ता पर कोई संदेह भी नहीं रहेगा.’ ऑनलाइन मार्केट की बड़ी कंपनियों जैसे कि फिल्पकार्ट और अमेजन को खादी उत्पाद ऑनलाइन बेचने की अनुमति पर भाटी ने बताया, ‘हमारी कुछ नियम और शर्तें होती हैं और उनके आधार पर वे खादी के उत्पादों को ई-कॉमर्स के जरिए बेच सकते हैं.’ इन शर्तों के बारे में भाटी बताते हैं कि खादी उत्पादों का बाजार में कोई प्रतियोगी नहीं है. ऐसे में खादी के मूल उद्देश्य ‘ज्यादा से ज्यादा हाथ को काम’ का पालन करते हुए कंपनियां उनकी निर्धारित शर्तों पर खादी के उत्पाद बेच सकती हैं.
यदि निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में पैसा लगाकर मुनाफा कमाने का मौका नहीं मिलेगा तो वह क्यों निवेश करेंगी के जवाब में भाटी बताते हैं कि हर काम मुनाफा कमाने के लिए ही नहीं किया जाता है. कुछ काम सामाजिक उद्देश्य के लिए भी किए जाते हैं और इसी सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई निजी ई-कॉमर्स कंपनियां खादी के उत्पाद बेचने को लालायित हैं और कुछ कंपनियों ने इस संदर्भ में उनसे संपर्क भी किया है.
प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में खादी पहनने को लेकर की गई अपील से खादी की बिक्री में इजाफा होने की बात को भाटी ने स्वीकार किया.
- इनपुट भाषा