खाप नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 14 जनवरी को अपने प्रतिनिधियों को न्यायालय भेजने का फैसला किया है. साथ ही खापों ने कहा है कि लव मैरिज और एक ही गोत्र में शादी किसी भी कीमत पर उन्हें मंजूर नहीं है. 85 गांव की पंचायतों ने मिलकर ये फैसला किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश
गौरतलब है कि 4 जनवरी को खाप पंचायतों के बेतुके फरमानों से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था. नोटिस में कहा गया था कि खाप पंचायत पर सरकार कड़ी नजर बनाए रखे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खाप प्रतिनिधियों को 14 जनवरी को कोर्ट मे हाजिर होने का निर्देश भी दिया था. कोर्ट का कहना था कि वो खाप पंचायत का पक्ष भी सुनना चाहते हैं. इसके अलावा हरियाणा के जींद और बागपत जिलों के आईजी (क्राइम) को भी सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया था.
केंद्र सरकार चाहती है निगरानी व्यवस्था
केन्द्र सरकार ने महिलाओं के प्रति खाप पंचायतों के अपराधों पर निगरानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है क्योंकि पुलिस महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने में विफल रही है. केन्द्र का कहना था कि इस वजह से महिलाओं को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कोई भी आदेश देने से पहले वह खाप पंचायतों का दृष्टिकोण भी जानना चाहती है. न्यायालय ने कहा था कि खाप पंचायत 14 जनवरी को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं. न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी से कहा था कि खाप के बुजुर्गों को सूचित किया जाये कि वे यहां आकर अपना दृष्टिकोण रखें.
मानने को तैयार नहीं खाप पंचायतें
हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा खाप पंचायतों पर लिए गए कड़े रुख के बावजूद खाप पंचायतों के प्रतिनिधि एक गांव और एक गोत्र में शादी तथा मां-बाप की मर्जी के खिलाफ होने वाली शादी को किसी भी सूरत में नहीं मानने को तैयार नहीं हैं. यह बात 10 जनवरी को नरवाना में हुई खापों की बैठक में सामने आई. बैठक में हिसार, फतेहाबाद, जीन्द, कैथल, सोनीपत आदि जिलों के खाप प्रधानों व प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.