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किसानों की क्रांति पूरी-मांगें अधूरी, जानिए कहां बनते-बनते बिगड़ गई बात

किसानों का ये आंदोलन मोदी सरकार की चिंताएं बढ़ा सकता है. मंगलवार को ये प्रदर्शन दिल्ली बॉर्डर के पास उग्र हुआ हालांकि रात को किसानों को राजधानी में घुसने दिया गया.

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दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन (फोटो क्रेडिट- Pankaj Nangia/Mail Today)
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन (फोटो क्रेडिट- Pankaj Nangia/Mail Today)

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उत्तराखंड के हरिद्वार से चलकर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर पहुंचे हजारों किसानों ने मंगलवार रात को अपना आंदोलन खत्म करने की घोषणा की. मंगलवार की दोपहर किसान दिल्ली-यूपी बॉर्डर (गाजीपुर बॉर्डर) पर डटे रहे और पुलिस से उनकी झड़प भी हुई. इस दौरान कई किसान घायल हुए, पुलिस ने उनपर आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछारें कीं. लेकिन देर रात को सरकार के द्वारा समझाने-बुझाने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन खत्म करने की बात कही, हालांकि किसानों की नाराजगी अभी भी पूरी तरह से थमी नहीं है. 

आंदोलन खत्म करने के बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसान घाट पर फूल चढ़ाकर हम अपना आंदोलन खत्म कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी है और हमारी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई हैं.

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दरअसल, ये किसान अपनी कई मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे थे. जिनमें कर्ज माफी, गन्ना भुगतान, पेंशन समेत अन्य मांगें शामिल थीं. केंद्र सरकार ने इन मांगों में से कुछ को तो मान लिया है, लेकिन कई मांगों को नहीं माना गया है. जिसकी वजह से किसान अभी भी नाराज हैं.

मंगलवार दोपहर को जब गाजीपुर बॉर्डर की सड़कों पर पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई थी. उसी दौरान दिल्ली में गृहमंत्री राजनाथ सिंह और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच मुलाकात चल रही थी, इसी मुलाकात में किसान मान गए थे. और बाहर आकर उन्होंने कहा था कि सरकार ने हमारी कई मांगें मान ली हैं.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा था कि हम पहले जमीन पर अपने किसानों से बात करेंगे और अगर वो मानेंगे तो ही आंदोलन खत्म करेंगे. जब किसान प्रतिनिधि राजनाथ से मुलाकात कर किसानों के बीच पहुंचे तो उनके सुर बदल गए. रात भर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के कई मंत्री किसानों को मनाने में जुटे रहे, किसान माने लेकिन पूरे मन से नहीं.

किसानों की वो बातें जो मान ली गई -

> किसानों की मांग थी कि NGT ने 10 साल पुराने डीजल ट्रैक्टरों के उपयोग पर बैन लगाया है, इसे हटाया जाए. सरकार ने इस मामले में रिव्यू पेटिशन डालने का भरोसा दिया है.

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> मनरेगा को किसानों से जुड़ी योजनाओं से जोड़ा जा सकता है.

> किसानों से जुड़े उपकरणों पर GST कम किया जाए, अधिकतर प्रोडक्ट्स को 5% से नीचे वाले कैप में लाया जाए.

> फसल पर बीमा दिया जाए.

जिन बातों पर फैसला नहीं हो पाया -

> कर्ज माफी की जाए

> डीजल के दाम में कटौती की जाए

> ट्यूबवेल के लिए बिजली मुफ्त में दी जाए

> 60 से ऊपर की उम्र वाले छोटे किसानों को 5000 रुपये तक की मासिक पेंशन दी जाए 

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