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किशनजी ने सशर्त तीन माह के संघर्ष विराम का सुझाव दिया

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर माओवादियों को हिंसा छोड़ने और बातचीत के लिए आगे आने का संदेश देने के बाद शीर्ष माओवादी नेता किशनजी ने दोनों पक्षों की ओर से तीन महीने के संघर्ष विराम का और शांति प्रक्रिया के लिए बातचीत का सुझाव दिया.

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राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर माओवादियों को हिंसा छोड़ने और बातचीत के लिए आगे आने का संदेश देने के बाद शीर्ष माओवादी नेता किशनजी ने दोनों पक्षों की ओर से तीन महीने के संघर्ष विराम का और शांति प्रक्रिया के लिए बातचीत का सुझाव दिया.

किशनजी ने एक अज्ञात स्थान से बताया, ‘‘राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधनों में माओवादियों से हिंसा छोड़ने की अपील की है. हम कभी हिंसा के पक्ष में नहीं रहे बल्कि सरकार ने हमें हथियार उठाने के लिए उकसाया है.’

किशनजी ने कहा, ‘जब हमारे कामरेड आजाद बातचीत के लिए आधार तैयार कर रहे थे तो उन्हें धोखेबाजी से मार दिया गया..इसलिए सरकार की गतिविधियों से यह बहुत स्पष्ट है कि वे बिल्कुल शांति नहीं चाहते.’ माओवादी नेता ने दावा किया कि ‘प्रधानमंत्री कार्यालय से कुछ खबरें आयी हैं कि ममता बनर्जी को मध्यस्थ के तौर पर काम करने के लिए कहा गया है. यदि वह तैयार हो जाती हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है.’

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किशनजी ने कुछ मध्यस्थों के नाम भी सुझाये. जिनमें लेखिका अरुंधति राय, गायक और तृणमूल कांग्रेस सांसद कबीर सुमन, बीडी शर्मा, गोपाल नारलेकर और रमन्ना आदि नाम हैं.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम तब तक एकपक्षीय तरीके से संघषर्विराम घोषित नहीं करेंगे जब तक कि सरकार की तरफ से कुछ सकारात्मक कदम नहीं उठाये जाएं.’ किशनजी ने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री देश के समस्याग्रस्त इलाकों में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना चाहते हैं तो उन्हें संयुक्त बलों को वापस लेने का और आजाद की हत्या के मामले में न्यायिक जांच का आदेश देना होगा.’

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