scorecardresearch
 

भीमा कोरेगांव हिंसा: अरेस्ट वामपंथी कार्यकर्ताओं में से 3 पहले भी काट चुके हैं जेल

भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर पांच वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनोन गोंजालवेस पहले भी जेल जा चुके हैं.

Advertisement
X
वरवर राव
वरवर राव

Advertisement

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों में देश के कई हिस्सों में छापेमारी के बाद वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी हुई. इस कार्रवाई में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजाल्विस को भी गिरफ्तार किया गया. इनकी गिरफ्तारी के बाद हंगामा मच गया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. गिरफ्तार किए गए पांच कार्यकर्ताओं में से तीन ऐसे हैं, जो पहले भी जेल जा चुके हैं. उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. इनमें वरवर राव, अरुण फरेरा और वरनोन का नाम शामिल है. आइए जानते हैं गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के बारे में...

#1. अरुण फेरेरा

मुंबई में रहने वाले ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट फरेरा मुंबई सेशंस कोर्ट और मुंबई हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. उन्हें 2007 में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की प्रचार एवं प्रसार शाखा का नेता बताया गया. इससे पहले अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट और देशद्रोह के अभियोग में उन्हें चार साल जेल में रहना पड़ा.

Advertisement

वे भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर गिरफ्तार हुए दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले के पक्ष में भी अपनी आवाज उठाते रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार 1993 के मुंबई दंगों के बाद उन्होंने देशभक्ति युवा मंच नाम की संस्था के साथ काम करना शुरू कर दिया. इस संस्था को सरकार माओवादियों का फ्रंट बता चुकी है. अरुण ने जेल के अनुभवों पर 'कलर्स ऑफ दि केज: ए प्रिजन मेमॉयर' नाम की किताब भी लिखी.  

आखिर उस चिट्ठी में क्या लिखा है, जिसकी वजह से गिरफ्तार हुए वामपंथी विचारक

#2. वर्नोन गोंजाल्विस

मुंबई विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट और रूपारेल कॉलेज एंड एचआर कॉलेज के पूर्व लेक्चरर वर्नोन के बारे में सुरक्षा एजेंसियों का आरोप है कि वह नक्सलियों की महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव और केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य हैं. उन्हें 2007 में अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया गया था. वो छह साल तक जेल में रहे थे. उन्हें करीब 20 मामलों में आरोपित किया गया था.  हालांकि बाद में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

#3. वरवर राव

वरवर राव एक कवि और लेखक हैं. वो 1957 से कविताएं लिख रहे हैं. उन्हें इमरजेंसी के दौरान अक्टूबर 1973 में आंतरिक सुरक्षा रखरखाव कानून (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था. आपातकाल के दौरान उनकी तरह बहुत से राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया था. वरवर, वीरासम (क्रांतिकारी लेखक संगठन) के संस्थापक सदस्य थे. साल 1986 के रामनगर साजिश कांड सहित कई अलग-अलग मामलों में 1975 और 1986 के बीच उन्हें एक से ज्यादा बार गिरफ्तार और फिर रिहा किया गया. उसके बाद 2003 में उन्हें रामवगर साजिश कांड में बरी किया गया और 2005 में फिर जेल भेज दिया गया था.

Advertisement

बता दें कि इसके अलावा सुधा भारद्वाज को नजरबंद रखा गया है. गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया है, जबकि सुजैन अब्राहम, आनंद तेलतुंबड़े, फादर स्टन स्वामी और क्रांति टेकुला के यहां छापे मारे गए हैं.

Advertisement
Advertisement