प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की एक तमिल कविता सुनाई. उन्होंने उनकी तमिल कविता 'एलारुम एलिनेलैई एडुमनल एरिएई...' सुनाई, जिसका मतलब है 'भारत दुनिया के हर बंधन से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा.' आइए जानते हैं कौन हैं सुब्रमण्यम भारती....
सुब्रमण्यम भारती एक तमिल कवि थे, जिन्हें 'महाकवि भरतियार' के नाम से भी जाना जाता है. देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत कविताएं लिखने वाले भारती कवि के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार भी थे. 11 दिसंबर 1882 को जन्में भारती की रचनाओं से प्रभावित होकर दक्षिण भारत में बड़ी संख्या में लोग आजादी की लड़ाई में शामिल हुए थे.
गरम दल में हुए शामिल
वे 1900 तक भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में पूरी तरह जुड़ चुके थे और उन्होने पूरे भारत में होने वाली कांग्रेस की सभाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था. भारती 1907 की ऐतिहासिक सूरत कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिसने नरम दल और गरम दल के बीच की तस्वीर स्पष्ट कर दी थी. भारती ने तिलक अरविंद और अन्य नेताओं के गरम दल का समर्थन किया था. इसके बाद वह पूरी तरह से लेखन और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए.
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कई भाषाओं के थे जानकार
उन्होंने अपनी किताब गीतांजलि, जन्मभूमि और पांचाली सप्तम में आधुनिक तमिल शैली का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी भाषा जनसाधारण के लिए बेहद आसान हो गई. भारती कई भाषाओं के जानकार थे. उनकी पकड़ हिन्दी, बंगाली, संस्कृत और अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं पर थी. वे तमिल को सबसे मीठी बोली वाली भाषा मानते थे.
भारती का योगदान साहित्य के क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण है ही, उन्होंने पत्रकारिता के लिए भी काफी काम और त्याग किया. उन्होंने 'इंडिया', 'विजय' और 'तमिल डेली' का संपादन किया. भारती देश के पहले ऐसे पत्रकार माने जाते हैं जिन्होंने अपने अखबार में प्रहसन और राजनीतिक कार्टूनों को जगह दी.
प्रमुख रचनाएं
'स्वदेश गीतांगल' और 'जन्मभूमि' उनके देशभिक्तपूर्ण काव्य माने जाते हैं, जिनमें राष्ट्रप्रेम और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति ललकार के भाव मौजूद हैं. साथ ही उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- तेचिय कीतंकळ् (देशभक्ति गीत), विनायकर् नान्मणिमालै, पारतियार् पकवत् कीतै, पतंचलियोक चूत्तिरम्. उनकी अनूदित रचनाएं हैं- यह है भारत देश हमारा, वन्दे मातरम, आजादी का एक 'पल्लु', निर्भय.