scorecardresearch
 

युद्धपोत INS विक्रमादित्य के बारे में जानें सब कुछ

हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी. हजारों मालवाहक जहाजों का ठिकाना हैं ये समुद्री तट और अथाह समंदर की लहरों पर तैरता हुआ सैन्य दुर्ग. अभेद सुरक्षा और अचूक वार करने वाले हथियारों से लैस...आईएनएस विक्रमादित्य.

Advertisement
X
INS विक्रमादित्य
11
INS विक्रमादित्य

जब देश की सीमाओं पर निगरानी रखना मुमकिन हो, तो मनोबल खुद ब खुद बढ़ जाता है. आईएनएस विक्रमादित्य की क्षमता हमारी नौसेना को यही हौसला देने वाली है. करीब 500 किलोमीटर की कोई भी गतिविधि इस युद्धपोत की नजरों से नहीं बच पाएगी.

Advertisement

देश को तीन तरफ घेरने वाली समंदर की लहरें व्यापार के लिहाज से सबसे बड़ी ताकत भी है और सुरक्षा के नजरिए से सबसे बड़ी चुनौती भी.

हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी- हजारों मालवाहक जहाजों का ठिकाना हैं ये समुद्री तट और अथाह समंदर की लहरों पर तैरता हुआ सैन्य दुर्ग. अभेद सुरक्षा और अचूक वार करने वाले हथियारों से लैस है आईएनएस विक्रमादित्य.INS Vikramaditya

क्या खास है इस युद्धपोत में
1. भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने से पहले इसे 'बाकू' और 'एडमिरल गोर्शकोव' के नाम से जाना जाता था. रूस में बने इस युद्धपोत को खरीदने का सौदा करीब 15,000 करोड़ रुपये में तय हुआ.
2. 44,570 टन के वजन वाले आईएनएस विक्रमादित्य की ऊंचाई 60 मीटर यानी 20 मंजिली इमारत जितनी है.
3. 22 डेक वाले इस युद्धपोत पर 1600 से 1800 नौसैनिकों की तैनाती रहेगी.
4. समंदर की लहरों पर आईएनएस विक्रमादित्य 30 नॉट यानी करीब 54 किमी/घंटा की रफ्तार से सफर कर सकता है.
5. 284 मीटर लंबे इस पोत पर 24 मिग-29 और 10 हेलिकॉप्टर तैनात किए जाएंगे.
6. आईएनएस विक्रमादित्य युद्धपोत के 500 किलोमीटर के दायरे में आने वाले दुश्मनों का पता लगा लगा लेता है.
7.माइक्रोवेव लैंडिग सिस्टम की वजह से लड़ाकू जहाजों की लैंडिग कई हालात में मुमकिन है.
8. मॉडर्न कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस आईएनएस विक्रमादित्य मिग-29 के साथ बेहद मजूबत किलेबंदी कर सकता है.

Advertisement

रूसी बेड़े में महज छह महीने तक रहने वाला बाकू अपने विक्रमादित्य के नए अवतार में नई भूमिका के लिए तैयार है. बाकू से विक्रमादित्य तक के सफर के दौरान इसमें कई बदलाव किए गए हैं. तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इसे गेमचेंजर बताया था.

किसी देश की फौजी ताकत में नौसैनिक बेड़े की अहम भूमिका होती है. इस वक्त अमेरिका के पास 11 ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. विक्रमादित्य के आने के भारत, इटली के बराबर होगा, जिसके पास 2 ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. चीन, इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, स्पेन, ब्राजील और थाईलैंड के पास एक-एक ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं.

समुद्री तटों की सुरक्षा और आतंकी घुसपैठ के खतरों को देखते हुए आईएनएस विराट के साथ आईएनएस विक्रमादित्य की मौजूदगी नौसेना के मनोबल में नई जान फूंक देगी.

Advertisement
Advertisement