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जानिए क्या है RSS का 'चीन की कमर तोड़ो प्लान'!

सीमा से लेकर संसद और संसद से सड़क तक चीन का मुद्दा चर्चा में है. सीमा पर चीन को मुंहतोड़ जवाब की दलील दी जा रही है, तो संसद में बातचीत के जरिए समस्या सुलझाने की बात सरकार ने की है, लेकिन इन सबके बीच "चीन की कमर तोड़ो" अभियान पर भी जोरशोर से काम चल रहा है. गली मोहल्लों, स्कूल कॉलेजों और चौराहों पर पूरी योजना के साथ चीन पर वार की तैयारी की जा रही है, लेकिन ये तैयारी हथियारों या गोला बारूद के जरिए नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर हो रही है.

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चीन की कमर तोड़ो प्लान पर करना होगा अमल
चीन की कमर तोड़ो प्लान पर करना होगा अमल

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सीमा से लेकर संसद और संसद से सड़क तक चीन का मुद्दा चर्चा में है. सीमा पर चीन को मुंहतोड़ जवाब की दलील दी जा रही है, तो संसद में बातचीत के जरिए समस्या सुलझाने की बात सरकार ने की है, लेकिन इन सबके बीच "चीन की कमर तोड़ो" अभियान पर भी जोरशोर से काम चल रहा है. गली मोहल्लों, स्कूल कॉलेजों और चौराहों पर पूरी योजना के साथ चीन पर वार की तैयारी की जा रही है, लेकिन ये तैयारी हथियारों या गोला बारूद के जरिए नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर हो रही है.

जानते हैं "चीन की कमर तोड़ो" अभियान की कमान किसके पास है, जी हां किसी और के पास नहीं बल्कि आरएसएस के पास है. आरएसएस अपने सहयोगी संगठनों के जरिए चीनी सामान के खिलाफ जनमानस बनाने के काम में जुटा हुआ है. इसके तहत बड़े स्तर पर एक आंदोलन खड़ा करने की भी कोशिश हो रही है, व्यापारियों का विरोध सामने न आए, इसलिए आरएसएस ने इसकी भूमिका महीनों पहले ही बना ली थी और व्यापारियों के पास ये संदेश कई तरीकों से पहुंचा दिया गया था कि वो रोज़मर्रा की जरूरतों के सामान या फिर त्योहारों की खपत के सामान का स्टॉक न रखें.

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करीब छह महीने पहले से भूमिका बनाने के बाद अब ये अभियान दिल्ली सहित देश के तमाम बाजारों और आम लोगों के बीच शुरु कर दिया गया है. एक अगस्त से 15 अगस्त के बीच जनजागरण के तहत आरएसएस से जुड़े तमाम संगठन आम लोगों और ग्राहकों के पास पहुंचकर उनसे चीनी सामान न खरीदने की अपील कर रहे हैं, इस अपील के साथ एक दलील भी है, जिसमें देशभक्ति का भी 1सहारा लिया जा रहा है.

चीन पर हमले का सबसे अच्छा तरीका उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में है टैगोर गार्डन में स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को पर्चे बांटे जिस पर लिखा है कि सेव इकोनॉमी-सेव बार्डर. इस पर्चे के जरिए चीनी सामान से तौबा करने की अपील की और लोगों को समझाया कि कैसे चीन भारत के बाज़ार पर कब्जा करके मुनाफा कमा रहा है और अपनी सेना को मजबूत करके भारत को धमकाने में जुटा हुआ है. स्वदेशी जागरण मंच से जुडे़ योगेश ने इस टोली की कमान संभाल ऱखी थी. उनके मुताबिक चीन पर हमले का सबसे अच्छा तरीका उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने में है, क्योंकि भारतीय बाज़ार से चीन को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है, लेकिन चीन की नीयत भारत को लेकर अच्छी नहीं है, इसलिए उसे आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखाना ज़रूरी है.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी में युवाओं के बीच भी चीनी सामान के खिलाफ मुहिम चला रही है. यूथ यूनाइटेड फॉर विज़न एंड एक्शन के बैनर तले युवाओं की टोली कालेज- कालेज घूम रही है. इस टोली में शामिल युवाओं के पास एक पर्चा होता है, जिसे वो यूनिवर्सिटी के छात्रों को देते हैं और उनसे चीनी सामान खरीदने के नुकसान पर बात करते हैं. पर्चे पर सेना के जवानों की पिक्चर भी है और इस अभियान में सेना की कुर्बानी और चीन की धमकियों का ज़िक्र भी है.

चीन पाकिस्तान के जरिए कैसे भारत पर हावी होने की कोशिश कर रहा है, इसकी भी डिटेलिंग पर्चे में है, जिसमें इस बात का दावा किया गया है कि चीन ने कैसे पाकिस्तान में अपना इन्वेस्टमेंट बढ़ाया है. चीन पाकिस्तान को फंडिंग कर रहा है और पाकिस्तान के जरिए भारत में आतंकवाद फैला रहा है. ऐसे में प्रचार टोली युवाओं को समझाने की कोशिश कर रही है कि वो चीन का सामान खरीदकर लोग अपने लिए ही मुसीबत खरीद रहे हैं.

युवा संस्था के संयोजक किशन के मुताबिक वो हर कालेज में जा रहे हैं, किरोरीमल, रामजस, हिंदू और मिरांडा हाउस कालेज में अब तक उनका अभियान पहुंच चुका है और 15 अगस्त के पहले नार्थ कैंपस के तमाम कॉलेजों के छात्रों तक वो अपनी पहुंच बनाएंगें.

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दिलचस्प बात ये है कि छात्र चीन के मुद्दे पर इस प्रचार टोली से इत्तेफाक तो रखते हैं, लेकिन फिलहाल चीन के सामान का विकल्प उनके पास नहीं है. लेकिन इस मुहिम का असर इतना हुआ है कि अब चीन के सामान के खिलाफ एक माहौल बनने लगा है और त्योहारों के सीज़न में इसका असर बाज़ार में भी दिखाई देगा.

आरएसएस से जुडे एक नेता के मुताबिक अभी "चीन की कमर तोड़ो" वाला अभियान और तेज़ होगा, जिसमें न सिर्फ बाज़ारों में चीन के सामान को लेकर विरोध होगा, बल्कि चीनी सामान पर बुल्डोज़र भी चलाया जाएगा.

 

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