चेन्नई में हुई भारी बारिश के कारण पूरा शहर डूब रहा है. सड़क, पुल, रनवे, रेलवे ट्रैक सब बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लेकिन समझने की आवश्यकता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि आज शहर डूबने की कगार पर है. कह सकते हैं कि प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए हमने प्रकृति के साथ इतना खिलवाड़ किया कि अब पूरा शहर पानी-पानी हो रहा है.
1. झील से छोड़ा गया पानी
लगातार बारिश के कारण झीलों का जलस्तर बढ़ने लगा. दबाव बढ़ने के कारण चेम्बराम्बकम झील में 30000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इसका असर यह हुआ कि अब चेन्नई की सड़कें पानी से लबालब भरी हुई हैं.
2. गायब हुए 300 से ज्यादा जलाशय
बीते दो दशकों में चेन्नई ने विकास की नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश की. इसके लिए जमीन का घेराव हुआ. नालियों-तालाबों का पानी रोका गया. नतीजा यह हुआ कि पानी को निकास का समुचित रास्ता नहीं मिल पाया. लगातार बारिश ने स्थिति भयावह कर दी और फिर जो हुआ और हो रहा है वह सबके सामने है. एक आंकड़े के मुताबिक, विकास की इस दौड़ में 300 से अधिक जलाशय कहीं गायब हो गए.
3. अल नीनो
भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि मौसम के इस बदले मिजाज के पीछे अल नीनो एक कारण बड़ा कारण है. हालांकि अधिकारी यह भी मानते हैं कि जैसी बारिश हो रही है वह सामान्य नहीं है और इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2015-16 का अल नीनो सबसे ताकतवर होने वाला है.
4. अवैध निर्माण
इस बीच चेन्नई में जमकर अवैध निर्माण भी हुआ है. 20 साल पहले जहां टैंक, झील, तालाब और नदियां थीं, वहां अब मल्टीस्टोरी बिल्डिंग हैं. शहर में 1.5 लाख से ज्यादा अवैध निर्माण हुए हैं.
5. रिकॉर्डतोड़ बारिश
जानकार बताते हैं कि बीते चालीस वर्षों से अधिक समय में पहली बार नदी में जलस्तर इतना अधिक बढ़ा है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि तमिलनाडु में बारिश ने 100 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
6. तापमान में वृद्धि
वैश्विक औसत तापमान में एक डिग्री से कम वृद्धि हुई है. जो जलवायु परिवर्तन का कारण है. इसे भी मौसम के इस बदलाव का कारण माना जा रहा है.
7. जल निकासी की समस्या
साल 2011 में आई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई में 2847 किलोमीटर सड़कें हैं, लेकिन पानी की निकासी के लिए बनी नालियों की लंबाई सिर्फ 855 किलोमीटर है. साथ ही इसकी चौड़ाई भी बहुत अधिक नहीं है. ऐसे में लगातार बारिश के कारण पानी निकलने की बजाय जमा होते गया और फिर उफान ने बाढ़ का रूप ले लिया.