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कोलकाता के टॉप प्राइवेट अस्पताल का कारनामा, महिला को गलत ग्रुप का खून चढ़ाया

31 वर्षीय बैशाखी की एक्टोपिक प्रेगनेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) का पता चलने के बाद उसे 5 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसकी एक सर्जरी भी हुई. एक्टोपिक प्रेगनेंसी ऐसी अवस्था को कहते हैं जिसमें गर्भ अपने स्थान से हट कर, दूसरी जगह स्थापित हो जाता है.  

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अभिजीत साहा
अभिजीत साहा

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अस्पताल की लापरवाही किस तरह किसी परिवार की जिंदगी बदल देती है, अभिजीत साहा से पूछिए. साहा का दावा है कि कोलकाता के एक टॉप प्राइवेट अस्पताल में उसकी पत्नी बैशाखी को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया जिसकी वजह से उसकी जान पर बन आई है. बैशाखी को AB+ ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया जबकि उसका ग्रुप A+  है.  

31 वर्षीय बैशाखी की एक्टोपिक प्रेगनेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) का पता चलने के बाद उसे 5 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसकी एक सर्जरी भी हुई. एक्टोपिक प्रेगनेंसी ऐसी अवस्था को कहते हैं जिसमें गर्भ अपने स्थान से हट कर, दूसरी जगह स्थापित हो जाता है.   

बैशाखी के परिवार का दावा है कि ऑपरेशन के बाद उसे खून चढ़ाया गया. इसके बाद बैशाखी की तबीयत बिगड़ती चली गई और उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा.    

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बैशाखी के पति साहा ने इंडिया टुडे को बताया, 'जब मेरी पत्नी को खून दिया जा रहा था, मैं वहीं था. हमें खून की जरूरत के बारे में पहले से कुछ नहीं बताया गया. जब मैंने देखा गलत ग्रुप का खून चढ़ाया जा रहा है, मैंने उसी वक्त नर्सों से ऐसा करने के लिए मना किया. लेकिन मुझे ये कह कर चुप करा दिया गया कि जो डॉक्टर ये केस देख रहे हैं, उन्हीं ने ऐसा करने के लिए कहा है.'

बैशाखी के परिवार का दावा है कि उसके कई अंगों के काम करना बंद होने के संकेत मिलने लगे लेकिन अस्पताल ने ध्यान नहीं दिया. कोलंबिया एशिया अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया- ‘सर्जरी के बाद मरीज को ब्लड ट्रांसफ्यूजन दिया गया. मरीज को ट्रांसफ्यूजन के बाद कुछ जटिलताएं हुईं जिनका विशेषज्ञों की टीम ने ध्यान रखते हुए इलाज किया. मरीज पर लगातार 24 घंटे नजर रखी जा रही है. उसकी हालत में सुधार आया है. अगले 24 घंटे में मरीज को वेंटीलेटर से हटा लिए जाने की संभावना है.’   

बुधवार को अस्पताल ने दावा किया कि मरीज का ट्रीटमेंट पर बेहतर रिस्पॉन्स था इसलिए उसे अब वेंटिलेटर से हटा लिया गया है. कोलंबिया एशिया में मेडिकल सर्विसेज के चीफ तीर्थांकर बागची ने कहा, 'मैं खुद इस केस को मॉनीटर कर रहा हूं. वो ट्रीटमेंट पर बेहतर रिस्पॉन्स कर रही हैं. हमें परिवार की ओर से शिकायत मिली है. इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. अगर कोई गलती मिली तो कार्रवाई की जाएगी.'

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अस्पताल ने परिवार के आरोपों की जांच के लिए एक टीम का गठन किया है. राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है. इस बीच बैशाखी को अचानक इमरजेंसी की वजह से अस्पताल में ज्यादा दिन रखने की वजह से मेडिकल बिल भी 6 लाख रुपए तक पहुंच गया. बैशाखी के परिवार ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर दखल देने की गुहार लगाई है. ममता बनर्जी के पास ही स्वास्थ्य विभाग भी है.  

बैशाखी के परिवार की ओर से बिधान नगर साउथ पुलिस स्टेशन में मंगलवार शाम को अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई.

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