कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सी एस कर्णन को सीने में दर्द को कारण अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि कुछ भी चिंताजनक नहीं है. इसके बाद उन्हें वापस प्रेसीडेंसी जेल भेज दिया गया.
बता दें कि पश्चिम बंगाल सीआईडी ने जस्टिस कर्णन को बुधवार को कोयंबटूर से गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्हें चेन्नई से यहां लाया गया.
सीआईडी के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, कि 'सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें प्रेसीडेंसी जेल से राजकीय एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया. उनकी कई बार ईसीजी और अन्य जांच की गई. यह पता लगाने के लिए कि उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है. डॉक्टरो ने कहा कि जांच में कुछ भी असामान्य नहीं पाया गया. इसी वजह से उन्हें वापस जेल भेज दिया गया.
छह महीने कैद की सुनाई गई थी सजा
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने नौ मई को न्यायालय की अवमानना के मामले में कर्णन को छह महीने कैद की सजा सुनाई थी. इसके तुरंत बाद पश्चिम बंगाल पुलिस का एक दल उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चेन्नई रवाना हो गया, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. बताया जा रहा है कि जस्टिस कर्णन के मोबाइल की लोकेशन का पता लगाकर गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है. जस्टिस कर्णन ने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन की लिखी चिट्ठियों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू किया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया असंवैधानिक
इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. ऐसा करने वाले वह किसी भी हाई कोर्ट के पहले जज थे. वहीं, जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को असंवैधानिक बताया था. उन्होंने कहा था, '8 फरवरी से ये सात जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे हैं.इन लोगों ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है. इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूंगा.'