लोकसभा चुनाव से पहले देश की राजनीति गरम होती जा रही है. पश्चिम बंगाल में शारदा चिट फंड स्कैम मामले में सीबीआई की एक टीम के कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंचने के बाद विवाद बढ़ता ही चला जा रहा है. कमिश्नर राजीव कुमार के साथ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आधी रात से धरने पर बैठी हैं. कोलकाता के जिस मेट्रो चैनल पर ममता धरने पर बैठी हैं, उसी जगह पर ठीक 10 साल पहले वह सिंगूर मामले पर प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठी थीं.
सिंगूर मामले की शुरुआत मई 2006 में तब हुई जब टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो कार प्लांट लगाने का ऐलान किया. तब राज्य में सीपीआई की अगुवाई वाली सरकार ने करीब 1,000 एकड़ की जमीन टाटा मोर्टर्स को नैनो प्लांट लगाने के लिए दिया था. राज्य सरकार के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई और मुख्य विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ममता बनर्जी ने विरोध का झंडा बुलंद किया और 18 जुलाई, 2006 को इसके खिलाफ जबर्दस्त विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसका फायदा उन्हें 2 साल बाद मिला जब वह राज्य विधानसभा चुनाव जीत गईं.
राज्य सरकार के फैसले और किसानों के प्रदर्शन के बीच 18 जनवरी, 2008 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सिंगूर जमीन अधिग्रहण को सही ठहराया जिसके खिलाफ किसान और कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सुप्रीम कोर्ट चले गए. इस बीच 24 अगस्त, 2008 को ममता बनर्जी ने सिंगूर के बाहर कार प्लांट के पास अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया, लेकिन उनके आंदोलन को सिंगूर से कोलकाता स्थानानंतरित करने को कहा गया, जिसके बाद उन्होंने मेट्रो चैनल के पास अपना अनशन जारी रखा. इस बीच 2 सितंबर को टाटा मोटर्स ने सिंगूर में अपने कार प्लांट में जारी काम को रोकने का फैसला किया.
ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी ने सिंगूर में कार प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ राज्यभर में जमकर प्रदर्शन किया, जिस कारण टाटा मोटर्स को यहां से जाने का फैसला लेना पड़ा. और उसने गुजरात के सानंद में अपना प्लांट लगाने का फैसला लिया. ममता को इस आंदोलन का फायदा विधानसभा चुनाव में मिला जिसने राज्य में 3 दशक से ज्यादा समय तक सत्ता में रही वामपंथी सरकार को मात दी.
मई, 2011 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को सफलता मिली और उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. नई सरकार ने अपने पहले ही कैबिनेट बैठक में सिंगूर में अनिच्छुक किसानों से लिए गए 400 एकड़ जमीन लौटाने का फैसला लिया.
पिछली बार इस विरोध प्रदर्शन के कारण ममता को राज्य के चुनाव में जीत मिली थी, तो अब लोकसभा चुनाव से पहले उनका यह प्रदर्शन उनकी स्थिति को मजबूत कर सकता है.