scorecardresearch
 

भीमा कोरेगांव हिंसा मामला: एनसीपी नेता शरद पवार से कमीशन करेगा पूछताछ

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए गठिन न्यायिक आयोग की अध्यक्षता बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एन. पटेल कर रहे हैं. जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मुलिक न्यायिक पैलन के सदस्य हैं. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में आयोग का गठन किया गया था. शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार ने इस आयोग का कार्यकाल 8 अप्रैल तक बढ़ा दिया है.

Advertisement
X
शरद पवार से होगी पूछताछ
शरद पवार से होगी पूछताछ

Advertisement

  • न्यायिक आयोग एनसीपी नेता शरद पवार को भेजेगा समन
  • शरद पवार की गवाही के लिए दिया गया था आवेदन
  • भीमा कोरोगांव हिंसा मामले में पवार दे चुके हैं हलफनामा

एनसीपी नेता शरद पवार से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक आयोग पूछताछ करेगा. शरद पवार की गवाही को लेकर एक अर्जी लगाई गई थी, जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया है. अब इसे लेकर आयोग जल्द ही एनसीपी नेता पवार को समन जारी करेगा. इससे पहले अक्टूबर 2018 में शरद पवार की ओर से इस मामले में हलफनामा दायर किया गया था.

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार को मामले की जांच कर रहा न्यायिक आयोग समन भेजेगा. समाचार एजेंसी पीटीआई को न्यायिक आयोग के वकील आशीष सातपुते ने यह जानकारी दी. सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने पिछले हफ्ते आयोग को एक आवेदन दिया था. इसमें 2018 में हुई हिंसा के बारे में शरद पवार द्वारा 18 फरवरी को दिए बयान को लेकर पूछताछ करने की मांग की गई थी.

Advertisement

ये भी पढ़ें: नीतीश-तेजस्वी में 20 मिनट की मुलाकात और विधानसभा से पास हो गया एंटी NRC प्रस्ताव

आवेदन में कहा गया था कि शरद पवार ने मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिंडे ने पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव भीमा और इसके आसपास के इलाकों में हिसा का माहौल बनाया था. आवेदन में यह भी कहा गया है कि पवार ने पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका भी संदिग्ध होने का आरोप लगाया है. आवेदक ने कहा है कि शरद पवार के पास और भी महत्वपूर्ण जानकारी है. इसलिए उनसे इस मामले में पूछताछ करने की जरूरत है.

भाजपा सरकार ने किया था आयोग का गठन

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए गठिन न्यायिक आयोग की अध्यक्षता बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एन. पटेल कर रहे हैं. जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मुलिक न्यायिक पैलन के सदस्य हैं. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में आयोग का गठन किया गया था. फिर चुनावों के बाद शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार ने इस आयोग का कार्यकाल 8 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. बता दें कि वर्तमान सरकार में शिवसेना के अलावा एनसीपी और कांग्रेस घटक दल हैं.

Advertisement

शरद पवार ने हलफनामे में क्या कहा?

एसीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने अपने हलफनामे में कहा है कि मैं घटना का तथ्यात्मक रूप से बताने की स्थिति में नहीं रहूंगा. क्योंकि यह मौजूदा कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. पवार ने कहा कि राज्य सरकार और कानून भीमा कोरेगांव और इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा करने में विफल रहे.

ये भी पढ़ें: एयरस्ट्राइक का एक साल: अब कैसा है बालाकोट का कैम्प, PAK ने किए ये बदलाव

साथ ही पवार ने कहा है कि भीमा कोरेगांव में हिंसा के पीछे दक्षिणपंथी ताकतों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. बता दें कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगाठ पर समारोह के दौरान हिंसा भड़क गई थी और इसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.

Advertisement
Advertisement