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केरल विमान हादसा: कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर बरामद, दुर्घटना की सही वजह पता चलेगी

एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसे के बाद कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर बरामद कर लिया गया. इससे रनवे पर विमान के फिसलने के ठीक पहले की स्थिति के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.

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केरल में कोझिकोड एयरपोर्ट पर विमान हादसे में 18 की मौत (फोटो-PTI)
केरल में कोझिकोड एयरपोर्ट पर विमान हादसे में 18 की मौत (फोटो-PTI)

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  • दुर्घटनाग्रस्त विमान का कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर बरामद
  • ब्लैक स्क्रीन डेटा का विश्लेषण करेगा उड्डनय मंत्रालय

केरल में कोझिकोड एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसे के बाद शनिवार को कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर बरामद कर लिया गया. डिजिटल फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल गया है. इससे रनवे पर विमान के फिसलने के ठीक पहले की स्थिति के बारे में पता लगाने में काफी मदद मिलेगी.

हालात का जायजा लेने कोझिकोड पहुंचे नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'हमने दुर्घटना स्थल का दौरा किया. दो ब्लैक बॉक्स बरामद किए गए हैं. इससे दुर्घटना के सटीक कारण का पता लगाया जाएगा. हम ब्लैक स्क्रीन में डेटा का विश्लेषण करेंगे. इस मामले में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) जांच कर रहा है.

हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि विमान में 190 लोग सवार थे, उनमें से हादसे में 18 ने अपनी जान गंवा दी. घायल 149 लोगों को भी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था, जिनमें से 23 को छुट्टी दे दी गई है. हमने शुक्रवार शाम को हुई हवाई दुर्घटना के बाद राहत उपायों का कार्यान्वयन की जानकारी ली.

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वहीं पूर्व पायलट और एलायंस एयर के पूर्व प्रमुख कैप्टन शक्ति लुंबा ने बताया कि एटीसी और सीडीआर ट्रांसक्रिप्ट से पता चलेगा कि वास्तव में क्या हुआ था. उन्होंने बताया कि विमान ने बारिश में लैंडिंग की और विमान फिसल गया. रनवे गीला था और इसीलिए उस पर फिसलन थी. खराब ब्रेकिंग सिस्टम की वजह से यह हादसा हुआ.

शक्ति लुंबा ने बताया कि टैबलटॉप रनवे को आम तौर पर सुरक्षित नहीं माना जाता है. रनवे की लंबाई विमान की सुरक्षा के लिए अहम होती है. अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करता है. वह निश्चित रूप से कालीकट में मौजूद नहीं है. कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं लेकिन जरूरी नहीं कि वह हादसा के रूप में सामने आए या जानमाल का नुकसान हो.

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शक्ति लुंबा के मुताबिक पायलट कई बार सही स्थिति पता न होने और विजिबिलिटी नहीं होने पर विमान को लैंड नहीं कराने का फैसला करता है. लेकिन कई बार दुर्घटना से 4-5 मिनट पहले भी मौसम में नाटकीय तौर पर बदलाव आ जाता है. 2000 मीटर की विजिबिलिटी पर्याप्त होती है. आपको 800 मीटर की विजिबिलिटी की आवश्यकता होती है.

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उन्होंने बताया कि जिस समय पायलट ने रनवे बदलने का फैसला किया, हो सकता है उस समय टैलवाइंड न हो. लेकिन जब पायलट ने लैंडिंग कराई हो, मौसम बदल गया हो और हवा पीछे से आने लगी हो. कोझिकोड एयरपोर्ट का रनवे ढलान वाला है. बारिश हुई थी और पानी लगा हुआ था. ऐसे में ब्रेकिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं किया होगा. अगर एक्वा-प्लानिंग रहती तो रनवे की सतह ठीक से दिखाई दी होती.

शक्ति लुंबा ने बताया कि विमान क्रैश के लिए कई वजहें होती हैं. कैप्टन दीपक साठे इंडियन एयरफोर्स के फाइटर पायलट थे. उन्होंने बचाने की पूरी कोशिश की होगी. गनीमत थी कि विमान में आग नहीं लगी. ईंधन बंद कर दिया गया था. उस स्थिति में एकाग्रता की बहुत जरूरत होती है.

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शक्ति लुंबा ने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी नागरिक उड्डयन मंत्री की है. यह मामला अब उनके पास है. एयरपोर्ट अथॉरिटी, डीजीसीए उनको रिपोर्ट करते हैं. अगर कोझिकोड का एयरपोर्ट अथॉरिटी नियम के अनुसार काम नहीं कर रहा था तो डीजीसीए ने उनका लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया? क्या एयरपोर्ट अथॉरिटी को कारण बताओ नोटिस दिया गया? यह चाय पानी की दुकान नहीं है. यह मानवाधिकार का मामला है.

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