हॉकी इंडिया के चुनाव पर दिल्ली और मुंबई उच्च न्यायालय के स्थगनादेश को अच्छा फैसला बताते हुए भारतीय हाकी महासंघ के प्रमुख केपीएस गिल ने आज कहा कि सभी पक्षों को एक मंच पर आकर इस स्थिति से निकलने का रास्ता तलाशना चाहिये और वह हाकी इंडिया से हाथ मिलाने को अब भी तैयार हैं.
बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई हाकी संघ की याचिका पर हाकी इंडिया के आज होने वाले बहुप्रतीक्षित चुनाव तीन हफ्ते के लिये स्थगित कर दिये. इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाकी इंडिया और आईएचएफ को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं किये जाने के कारण समूची चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
पंजाब के पूर्व सुपरकॉप गिल ने कहा,‘‘ अब तक सात आठ उच्च न्यायालय हाकी इंडिया के चुनावों के खिलाफ स्थगनादेश ला चुके हैं. इससे साबित होता है कि समूची चुनावी प्रक्रिया असंवैधानिक और गलत है जो हम पहले भी कह चुके हैं.’’ उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय के निर्देशों पर अमल किया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा,‘‘ जो कुछ भी अदालत ने कहा है, उसकी तामील होनी चाहिये. जब आईएचएफ को मान्य संस्था करार दिया गया है तो उसे हाकी से अलग थलग कैसे किया जा सकता है.’’
गिल ने कहा कि मामला इतना पेचीदा हो चुका है कि इससे निकलने के लिये सभी पक्षों को बातचीत के मंच पर आना होगा .
उन्होंने कहा,‘‘ मैने पहले भी कहा था कि मैं बातचीत के लिये तैयार हूं और आज भी मेरी वह पेशकश खुली है. भारतीय हाकी की भलाई के लिये सभी पक्षों आईएचएफ, हाकी इंडिया, खेल मंत्रालय और एफआईएच को आपस में बैठकर बातचीत करनी होगी. मैं इसके लिये तैयार हूं.’ उन्होंने कहा कि वह पहले भी इस पहल का इंतजार कर रहे थे लेकिन खेल मंत्रालय ने अदालत के निर्देशों पर अमल नहीं किया.
उन्होंने कहा,‘‘ दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई में अपने फैसले में आईएचएफ की मान्यता रद्द करने के आईओए और खेल मंत्रालय के फैसले को खारिज करते समय भी मंत्रालय को सभी पक्षों से बात करके सर्वसम्मति से कोई हल निकालने को कहा था . हम इंतजार करते रहे लेकिन हमें बातचीत के लिये बुलावा नहीं आया.’