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#ATKrishiSummit: मोदी सरकार निभाएगी वादा, दोगुनी होगी आमदनी: राधामोहन

दिनभर चलने वाले इस समिट में देशभर से जानें मानें कृषि वैज्ञानिक, किसान मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि, केन्द्रीय कृषि मंत्री समेत कुछ राज्यों के कृषि मंत्री शिरकत करेंगे. इस समिट के दौरान जहां कृषि विद्वान किसानों का आमदनी को दोगुना करने के सरकार के प्रयास पर चर्चा करेंगे वहीं किसानों के लिए वैकल्पिक आय के स्रोतों पर अहम चर्चा की जाएगी.

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आजतक कृषि इनोवेशन समिट
आजतक कृषि इनोवेशन समिट

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सातवां सत्र: दोगुनी होगी किसान की आमदनी

आजतक कृषि इनोवेशन समिट के अहम सत्र दोगुनी होगी किसान की आमदनी में हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन रोहित सरदाना ने किया. 

ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि किसान कई दशक से एक कमीशन की मांग कर रहे थे. लंबे समय के बाद स्वामिनाथन समिति बनी लेकिन उसकी बातों को पूर्व की सरकार ने अमल में लाने के लिए कदम नहीं उठाया. धनखड़ ने दावा किया कि 2006 में आई रिपोर्ट के बावजूद कांग्रेस सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया. लेकिन मोदी सरकार ने कमान संभालने के बाद सबसे पहले किसानों की आमदनी को दोगुना करने का बीड़ा उठाया है.

ओम प्रकाश धनखड़ ने कृषि इनोवेशन समिट के मंच से बीवी को स्लिम-ट्रिम रखने का नुस्खा दिया. धनखड़ ने दावा किया कि जिस तरह सफोला तेल के प्रचार में दावा किया जाता है कि उसे खाने पर हार्ट की समस्या नहीं होती है उसी तरह हरियाणा में देसी गाय के घी के सेवन से हार्ट की समस्या नहीं होगी.

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हरियाणा-पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने पर धनखड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने पराली की समस्या से निपटने के लिए 175 करोड़ रुपये खर्च किया है. इसके अलावा तेल कंपनियों के साथ राज्य ने 900 करोड़ रुपये का करार किया है जिसते तहत वह पराली को लेकर तेल उत्पाद में खपत करेंगे.

केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह

आजतक कृषि इनोवेशन समिट में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने शिरकत की. किसानों को संबोधित करने हुए राधामोहन ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के लिए सदैव तत्पर है और उनके उत्थान के लिए अहम कदम उठा रही है. महात्मा गांधी के शब्दों को दोहराते हुए सिंह ने कहा कि जबतक किसान मजबूत नहीं होगा देश को मजबूत नहीं किया जा सकता.

राधामोहन ने कहा कि आजादी से पहले अंतरिम सरकार ने डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को कृषि मंत्री बनाया गया. लेकिन आजाद होने के बाद वह राष्ट्रपति बना दिए गए. डॉ प्रसाद ने गांधी दी के साथ देश में किसानों की समस्या पर काम किया और खुद किसानी परिवार से आने के कारण उन्हें किसानों का प्रतिनिधि माना गया. लिहाजा, आजाद भारत में गांधी के आदर्शों से हट गए और किसानों की अनदेखी शुरू हो गई.

राधामोहन सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी पहली एनडीए सरकार ने एक बार किसानों की स्थिति को मजबूत करने की कवायद की गई. लेकिन उनके कार्यकाल के बाद 2004 से 2014 तक कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उनके कामों की अनदेखी शुरू हो गई.

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राधामोहन ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने का बीड़ा उठाया है. वह अपने कार्यकाल के दौरान किए गए वादे के मुताबिक किसानों की दोगुनी आमदनी का रास्ता साफ करते हुए वादे को पूरा करेगी.

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में लगातार चार साल से सूखा की स्थिति का सामना किया जा रहा है. वहीं पहले या तो सिर्फ रबी फसल के दौरान अथवा खरीफ फसल के दौरान सूखा देखने को मिलता था. लेकिन इस चुनौती के बावजूद मोदी सरकार ने देश में उत्पादन के स्तर को बनाए रखने में सफलता पाई है. इसी दौरान केन्द्र सरकार ने किसानों को हॉर्टीकल्चर के क्षेत्र से आमदनी बढ़ाने के लिए मद पहुंचाई और 2018 में इस क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन देखने को मिला.

राधामोहन सिंह ने दावा किया कि मोदी सरकार का कृषि के क्षेत्र में सबसे अहम कदम किसानों के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड तैयार करना था. जहां पहले की सरकारों ने पूरे देश में महज 33 सॉयल हेल्थ रीसर्च सेंटर बनाया था वहीं मोदी सरकार ने 2 हजार से अधिक ऐसे सेंटर तैयार किए और पूरे देश के किसानों के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड तैयार किया.

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पराली की समस्या पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अब इस समस्या से निपटने के लिए अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान में बड़ा खर्च होगा. जहां पहले की सरकारों ने इस समस्या को कभी सामने आने नहीं दिया मोदी सरकार अब इस समस्या का पर्मानेंट इलाज कर रही है.

पांचवा सत्र: बीज, बागबान और पर्यावरण   

आजतक कृषि इनोवेशन समिट के अहम सत्र बीज, बागबान और पर्यावरण में धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के चेयरमैन आर जी अग्रवाल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के  उप महानिदेशक  डॉ. ए के सिंह, और पर्यावरण मामलों के जानकार विमलेन्दु झा ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन सईद अंसारी ने किया.

इस सत्र के दौरान विमलेन्दू ने कहा कि सवाल यह पूछा जाना चाहिए कि किसान के पास पराली जलाने का  क्या विकल्प है? आखिर किसान क्यों खेती कर रहा है. देश में बड़े किसान 10 फीसदी से कम हैं वही छोटे किसान खेती सिर्फ अपने घर-परिवार को चलाने के लिए करता है. प्रति वर्ष की आय सिर्फ खाने-पीने का काम आती है और वह जरूरी काम कर सकता है. किसानी से उसका बैंक बैलेंस नहीं बढ़ रहा है लिहाजा पर्यावरण का दायित्व उन लोगों पर अधिक है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए अपना बैंक बैलेंस बनाने के लिए करते हैं.

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चौथा सत्र: मधुमक्खी पालन

मधुमक्खी पालन में 50 कॉलोनी से 2 लाख तक की कमाई

पॉल्यूशन के चलते शहरों से गायब हो गई हैं मधुमक्खियां, लेकिन खेतों में पॉल्यूशन को खत्म करने में मधुमक्खियों का अहम योगदान है. इस सत्र के दौरान डॉ. बी एल सारस्वत, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने कहा कि देश में किसानों की आमदनी को बढ़ानें में मधुमक्खीपालन अहम योगदान कर सकता है.

एक त्वरित अनुमान के मुताबिक सारस्वत ने बताया कि महज मधुमक्खियों की 50 कॉलोनी का इस्तेमाल करने हुए किसान प्रतिवर्ष 2 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई कर सकता है.

तीसरा सत्र: डेयरी में है दम   

आजतक कृषि इनोवेशन समिट के तीसरे अहम सत्र डेयरी में है दम में प्रबंध निदेशक जीसीएमएमएफ आर एस सोढ़ी, आईएलआरआई के प्रतिनिधि डॉ. हबीबर रहमान और  राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए के सिंह ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन रोहित सरदाना ने किया.

इस सत्र के दौरान आर एस सोढ़ी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि दुग्ध उत्पादन में भारत अग्रणी देश है. लेकिन हमारे सामने चुनौती है कि किस तरह से प्रति व्यक्ति दूध की खपत को लंबी अवधि में बनाए रखना है. सोढ़ी के मुताबिक 2050 तक भारत की जनसंख्या 170 करोड़ के आसपास पहुंच जाएगी.

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जनसंख्या के इस आंकलन के मुताबिक इस समय तक देश में दूध की खपत कम से कम तीन गुना हो जाएगा, लिहाजा हमें इसकी तैयारी करने की जरूरत है कि 2050 में हम प्रति व्यक्ति खपत के स्तर को बनाए रखें.

किसान आमदनी के हिसाब से कृषि से अधिक आमदनी किसानों को पशुपालन से होती है.  भारत के लिए जरूरी है कि वह अपने पड़ोसी देशों के बाजार पर नजर रखे. जहां डेयरी सेक्टर को बड़े स्तर पर ले जाने की जरूरत है वहीं इस सेक्टर में सर्वाधिक रोजगार देने की छमता भी है. लिहाजा, इस क्षेत्र को विकसित करने में सभी के फायदे के साथ-साथ किसानों की आमदनी को दोगुना करने की पूरी छमता है.

सत्र के दौरान आईएलआरआई के प्रतिनिधि डॉ. हबीबर रहमान ने कहा कि देश के कई राज्यों में डेयरी सेक्टर में चिलिंग प्लांट की बड़ी चुनौती है. ज्यादातर राज्यों में चिलिंग प्लांट की कमी और ग्रामीण स्तर पर दूध एकत्र नही करने पाने की चुनौती के चलते किसानों के पास दूध को सस्ते दाम पर ही ग्रामीण बाजार में बेचने अथवा उसकी खपत कर लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

इस सत्र के दौरान डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए के सिंह ने कहा कि देश में पशु खऱीदने के रुझान में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अब किसान पशु मेले के जरिए अच्छा से अच्छा पशु खरीदने में निवेश कर रहे हैं. हालांकि सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में भी बिचौलियों की बड़ी समस्या है जिसके चलते हम किसानों से लगातार कह रहे हैं कि वह पशुओं की ब्रीडिंग के प्रति अपना रुझान बढ़ाएं जिससे बाजार पर उनकी निर्भरता कम की जा सके.

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दूसरा सत्र: मछली जल की रानी है?

आजतक कृषि इनोवेशन समिट के दूसरे अहम सत्र मछली जल की रानी हैं में मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, कृषि मंत्रालय रानी कुमुदनी ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन सईद अंसारी ने किया.

रानी कुमुदनी ने कहा कि एग्रीकल्चर के क्षेत्र में फिशरीज सेक्टर एक सनराइज सेक्टर है. मछली पालन को हर साल अच्छी ग्रोथ देखने को मिल रही है. किसानों की आमदनी को बढ़ाने कि लिए मत्स्य पालन एक अहम विकल्प बन सकता है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (मत्स्य विज्ञान) डॉ जॉयकृष्णा जेना ने कहा कि  आज की तारीख में देश के हर कोने में मत्स्य पालन हो रहा है. दिल्ली में भी मछलियां इतनी कम दरों में मिल रही हैं जितनी आंध्र में नहीं मिलती, इसका मतलब है कि दिल्ली के आसपास मत्स्य पालन हो रहा है. मत्स्य पालने के लिए जिन जमीनों में फसलें होती है, के बजाय निचली जमीन जिसका उपयोग कम होता है वैसी जमीन का इस्तेमाल किया जा सकता है.

केरल के कालीकट के कृषि अनुसंधान केंद्र के डॉ. बी प्रदीप ने कहा कि आमतौर पर लोग सिर्फ खाने की मछली के बारे में सोचते हैं लेकिन सजावट की मछलियों काबहुत बड़ा मार्केट है. सजावटी मछली पालने के लिए जमीन और पानी दोनों की जरूरत कम होती है और मुनाफा अच्छा होता है.

डॉ जेना ने कहा कि जैसे सॉयल हेल्थ कार्ड बन रहा है वैसे ही हम तालाब का भी हेल्थ कार्ड बनाना शुरू कर चुके हैं. मछलियों में होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए कॉल सेंटर से जरिए सूचना का प्रसार हो रहा है और जहां जरूरत होती है विशेषज्ञ भी भेजे जाते हैं.

रानी कुमुदनी ने कहा कि आज हमारे पास ऐसी टेक्नोलॉजी है कि एक मीटर स्वक्वॉयर की जगह में एक टन मछली पालन किया जा सकता है. यह इतना आसान है कि घर की महिलाएं सिर्फ रसोईं के बचे हुए खाने के जरिए इन मछलियों को पालने का काम कर सकती है.

पहला सत्र: भर दो झोली किसान की   

आजतक कृषि इनोवेशन के पहले अहम सत्र में कृषि मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक वी एम सिंह ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन सईद अंसारी ने किया.

इस सत्र के दौरान देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि जहां बीते 4-5 दशकों के दौरान किसानों की अनदेखी हुई है वहीं मौजूदा समय में किसानों की आमदनी को दोगुना करने का माहौल उसे फायदा नहीं बल्कि नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है. शर्मा ने कहा कि यदि देश में आमदनी लगातार बढ़ रही है और इसी तर्ज पर दावा किया जाता है कि किसानों की आमदनी भी बीते दिनों में मार्केट के अनुसार बढ़ती रही है तो ऐसी स्थिति में आखिर सरकार को हर कुछ साल में सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग लाने की जरूरत क्यों पड़ती है.

इस सत्र के दौरान वीएम सिंह ने कहा कि सरकार के समर्थन मूल्य की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है. इसका फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है. वास्तविक स्थिति यह है कि किसान बाजार में समर्थन मूल्य से कम पैसा लेने के लिए मजबूर है. उसकी फसल को रिजेक्ट कर कम पैसे देने का काम किया जा रहा है.

पराली जलाकर जुर्माना देना किसान की मजबूरी

वहीं उत्तर भारत में पराली जलाने के मुद्दे पर सिंह ने कहा कि किसान पर पराली जलाने पर जुर्माना लगाया जा रहा है. लेकिन किसान की हालत यह है कि वह पराली का कुछ नहीं कर सकता और पराली जलाने पर जुर्माना अदा करने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है.

पशु बेचने पर पाबंदी गलत, कैसे खरीदें नया पशु

सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों के पशु बेचने पर पाबंदी लगा दी है. यह कदम पूरी तरह से तर्कहीन है. आखिर कैसे बिना पशु को बेचे किसान नया पशु खरीदेगा जब उसका पुराना पशु दूध देने बंद कर देती है?

चाय वाला PM बना, किसान क्यों नहीं?

देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि जिस देश में चायवाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो क्यों किसान देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता. शर्मा ने कहा किसानों  के प्रति सरकारों के रुख के साथ-साथ खुद किसान नेता भी बदहाली के लिए जिम्मेदार है. शर्मा ने कहा कि आज देश के किसानों के पास उनका नेतृत्व करना वाला कोई विश्वसनीय नेता नहीं है.

एमएसपी खत्म करने की हो रही कवायद

शर्मा ने कहा कि एमएसपी का कोई फायदा किसानों को नहीं पहुंच रहा है. बिहार जैसे राज्य में एमएसपी की व्यवस्था नहीं है वहीं पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में मुठ्ठीभर किसानों को एमएसपी मिल रहा है. शर्मा ने कहा कि वहीं देश में आज एमएसपी को पूरी तरह खत्म करने की वकालत की जा रही है जबकि जरूरत है कि इसका विस्तार करते हुए सुनिश्चित किया जाए कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को एमएसपी मिल सके.

विशेष भाषण : डेयरी सेक्टर को मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड का फायदा

आजतक कृषि इनोवेशन समिट का आगाज करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव तरुण श्रीधर (पशुपालन, डेयरी और मत्स्य) ने विशेष भाषण देते हुए कहा कि किसानों की आमदनी के लिए देश में मत्स्य पालन एक अहम जरिया बन सकता है. श्रीधर ने कहा कि केन्द्र सरकार की नई हाई वॉटर फिशिंग नीति आ चुकी है और इसमें मत्स्यपालन को रोजगार का माध्यम बनाने के तैयार किया गया है.

श्रीधर ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड को मत्स्यपालन और डेयरी के लिए भी मंजूरी दे दी गई है. इस आशय केन्द्र सरकार एक-दो दिन में इसका ऐलान करने जा रही है. वहीं दुनिया में दुग्ध प्रोडक्शन में अव्वल होने के बाद किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने की जरूरत है. श्रीधर ने कहा कि दुग्ध उत्पादन और प्रोसेसिंग को सहकारिता के क्षेत्र में रखते हुए की किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाया जा सकता है.

देश का सबसे बड़ा न्यूज नेटवर्क और सर्वाधिक देखा जाने वाला हिंदी न्यूज चैनल आजतक कृषि इनोवेशन समिट का सोमवार को आयोजन कर रहा है. समिट थोड़ी देर में शुरू होगी. समिट का आयोजन ए पी शइंदे सिम्पोजियम हॉल, पूसा, नई दिल्ली में किया जा रहा है.

दिनभर चलने वाले इस समिट में देशभर से जानें मानें कृषि वैज्ञानिक, किसान मजदूर संगठनों के प्रतिनिधी, केन्द्रीय कृषि मंत्री समेत कुछ राज्यों के कृषि मंत्री शिरकत करेंगे. इस समिट के दौरान जहां कृषि विद किसानों का आमदनी को दोगुना करने के सरकार के प्रयास पर चर्चा करेंगे. वहीं किसानों के लिए वैकल्पिक आय के स्रोतों पर अहम चर्चा की जाएगी.

समिट के समापन में कृषि इनोवेशन अवॉर्ड का ऐलान किया जाएगा. अवॉर्ड प्राप्त करने वाले सभी विशिष्ट जन आजतक के माध्यम से अपना अनुभव देशभर के किसानों के साथ साझा करेंगे.

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पूरा कार्यक्रम

आजतक कृषि इनोवेशन समिट    

ए पी शिंदे सिम्पोजियम हॉल, एनएएससी कॉम्प्लेक्स

22 अक्टूबर, सोमवार, पूसा, नई दिल्ली

10:45 – 11:30 hrs: मछली जल की रानी है?    

वक्ता:    रानी कुमुदनी, मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, कृषि मंत्रालय

    जॉयकृष्णा जेना, डिप्टी डायरेक्टर जनरल (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

    डॉ बी प्रदीप, मत्स्य मामलों के जानकार, कृषि विज्ञान केंद्र, कालीकट, केरल

    यतीन्द्र कश्यप, मत्स्य पालक, बिहार

11:30 – 12:00 hrs: डेयरी में है दम    

वक्ता:    आर एस सोढ़ी, प्रबंध निदेशक, जीसीएमएमएफ

    डॉ. हबीबर रहमान, क्षेत्रीय प्रतिनिधि‍, आईएलआरआई

    डॉ. ए के सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल

12:00 – 12:30 hrs: बीज, बागबान और पर्यावरण    

वक्ता:    आर जी अग्रवाल, चेयरमैन, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड

    डॉ. ए के सिंह, उप महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

    विमलेन्दु झा, पर्यावरण मामलों के जानकार

12:30 - 13:30: केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का भाषण    

13.30 – 13.45: कृषि इनोवेशन समिट, पुरस्कार समारोह    

13:45 – 14:15 hrs: लंच    

14:15 – 15:00 hrs: दोगुनी होगी किसान की आमदनी    

वक्ता:    ओम प्रकाश धनखड़, कृषि मंत्री, हरियाणा सरकार

15:00 – 15:45 hrs: डेयरी लगाओ, पैसे कमाओ    

वक्ता:    संग्राम चौधरी, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड

15:45 hrs : धन्यवाद ज्ञापन

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