भारत ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में समकालीन हकीकतें परिलक्षित होनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली इकाई को उभरती वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी तरह से निपटने के लिए ‘अविलंब सुधार’ करने चाहिए.
विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, ‘पहला कदम सुरक्षा परिषद में सुधार होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में राष्ट्र चाहते हैं कि इसकी स्थाई और अस्थाई दोनों सीटों का विस्तार होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह अनिवार्य है कि हम इस बातचीत को जल्द एवं तार्किक समापन तक पहुंचाएं.’ उम्मीद है कि भारत अक्तूबर में होने वाले चुनाव के बाद सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्य के तौर पर शामिल हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग की वैश्विक भूसामरिक व्यवस्था में 1945 से मुश्किल से ही बदलाव परिलक्षित हुए हैं.’ कृष्णा ने कहा, ‘विकासशील देश लगभग सभी सैनिकों का योगदान देते हैं जो दुनियाभर में मौजूद संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षकों का हिस्सा हैं. फिर भी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित फैसलों में परिषद की उच्चस्तरीय बैठक में उनकी आवाज मुश्किल से ही सुनी जाती है.’ {mospagebreak}
कृष्णा ने अफ्रीका का उदाहरण पेश किया जहां से सुरक्षा परिषद में कोई भी स्थाई सदस्य नहीं है फिर भी इस महाद्वीप में संघर्ष रुके हुए हैं. आतंकवाद के मुद्दे पर कृष्णा ने कहा कि उग्रवादी संगठनों द्वारा निर्दोष नागरिकों की हत्याओं से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र को एक व्यापक संधि करने की जरूरत है. मंत्री ने कहा, ‘इस अभिशाप को हराने के लिए जरूरी है कि वैश्विक समुदाय अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में काम करे और आतंकवाद तथा इसके प्रायोजकों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई करे.’
उन्होंने कहा कि ‘आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्ययोजना में अंतराल’ बना हुआ है. कृष्णा ने कहा, ‘इन अंतरालों को भरने के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता किया गया है.’ जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आते हुए कृष्णा ने कहा कि विकसित देशों को अपनी अनेक प्रतिबद्धताओं में नेतृत्व करने की जरूरत है जिससे दुनिया के सामने मौजूद इस चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘स्पष्ट तौर पर विकसित देशों को योगदान की अपनी महती क्षमता के साथ इस प्रक्रिया में न केवल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताओं में बल्कि विकासशील देशों की मदद में भी अगुवाई करनी चाहिए और अपनी वचनबद्धताओं को पूरा करना चाहिए.’
कृष्णा ने कहा, ‘भारत में विकास से जुड़ी अनेक चुनौतियों के बावजूद हम अपने सीमित संसाधनों के भीतर एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्य योजना के जरिये जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्य योजना में योगदान के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.’