कुलभूषण जाधव मामले में भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है. नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) ने जाधव की फांसी की सजा की तामील पर रोक लगा दी है. जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कथित जासूसी के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है. भारत ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ इस अदालत में 8 मई को अपील की थी, जिस पर अब 15 मई को सुनवाई होगी.
इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि जाधव के साथ न्याय नहीं हुआ. उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने देने की 16 बार इजाजत मांगी, जिसे खारिज कर दिए जाने के बाद हम अंतरराष्ट्रीय अदालत गए. बागले ने कहा कि दुर्भाग्य से, हमें कुलभूषण जाधव के ठौर-ठिकाने की कोई जानकारी नहीं. हमें यह भी नहीं पता कि वह किस हाल में हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जाधव की मां की ओर से पाकिस्तान की अदालत में दायर याचिका की स्थिति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिली है.
वहीं जाधव की मौत की सजा पर रोक के सवाल पर बागले ने कहा, न्यायिक बाध्यताओं की वजह से इसकी ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकता. बस इतना बता सकता हूं कि ICJ ने भारत की याचिका स्वीकार कर ली है.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय अदालत की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने इस मामले में पाकिस्तान पर वियेना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया था. भारत की ओर से दायर अपील में यह भी बताया गया था कि कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और ना ही उन्हें भारत के उच्चायोग अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी गई.
बताया जाता है कि ICJ के अध्यक्ष रोनी अब्राहम ने पाकिस्तान सरकार को एक पत्र लिख कर कहा है कि वह इस तरह कार्रवाई करे, जिससे इस मामले में जारी होने वाले अदालत के किसी आदेश का क्रियान्वयन संभव हो सके. आईसीजे से की गई अपील में भारत ने पाकिस्तान पर राजनयिक संबंधों पर वियेना सम्मेलन के भीषण उल्लंघन का आरोप लगाया है और इस बात पर जोर दिया है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था. जाधव भारतीय नौसेना से रिटायर्ड होने के बाद ईरान में बिजनेस के सिलसिले में गए हुए थे. हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने 3 मार्च, 2016 को बलुचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया. भारत की अपील पर आईसीजे ने जाधव को मिली फांसी की सजा की तामील पर स्थगन लगा दिया है.
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पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव की गिरफ्तारी 29 मार्च 2016 को दिखाई थी. पाकिस्तान का दावा था कि जाधव बलूचिस्तान और कराची में आतंकवाद फैलाने का काम कर रहे थे. वहीं, भारत का दावा था कि जाधव को अगवा किया गया है. गिरफ्तारी के बाद भारतीय उच्चायोग ने दर्जनों बार उनसे मिलने की इजाजत मांगी थी. लेकिन पाकिस्तान ने सभी अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार करते हुए इसकी इजाजत नहीं दी. 11 अप्रैल 2017 को अचानक खबर आई कि पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा दे दी है.
सुषमा स्वराज का ट्वीट
भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अदालत ने ये फैसला रूल ऑफ कोर्ट के पैरा-4 के अनुच्छेद 74 के तहत सुनाया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने जाधव की मां को इस फैसले की जानकारी दी है. सुषमा के मुताबिक सीनियर वकील हरीश साल्वे इस मामले में भारत की पैरवी कर रहे हैं.
I have spoken to the mother of #KulbhushanJadhav and told her about the order of President, ICJ under Art 74 Paragraph 4 of Rules of Court.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 9, 2017
Mr.Harish Salve, Senior Advocate is representing India before International Court of Justice in the #KulbhushanJadhav case.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 9, 2017
भारत का कड़ा रुख
भारत ने इस मसले में कडा रुख अपनाया था. विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा था कि जाधव को छुड़वाने के लिए भारत किसी भी हद तक जाएगा. मसला दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव का बड़ा सबब था. भारत ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को कई बार तलब कर जाधव से मिलने की इजाजत मांगी थी. भारत की सरकार जाधव को बचाने के लिए पाकिस्तानी कानूनी व्यवस्था में मौजूद विकल्पों पर भी गौर कर रही थी.