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PAK का दावा- जाधव ने दाखिल की दया याचिका, भारत ने कहा- नहीं है पारदर्शिता

पाकिस्तान सरकार ने दावा किया है कि पाक जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण सुधीर जाधव ने वहां के सेना प्रमुख (COA) जनरल कमर जावेद बाजवा के सामने दया याचिका दाख‍िल की है. कुभूषण जाधव पर पाकिस्तान सरकार ने जासूसी करने और आतंकवाद जैसे संगीन आरोप लगाए हैं, जबकि भारत सरकार उन्हें एक निर्दोष नागरिक मानती है.

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कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव

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पाकिस्तान ने दावा किया है कि पाक जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण सुधीर जाधव ने वहां के सेना प्रमुख (COA) जनरल कमर जावेद बाजवा के सामने दया याचिका दाख‍िल की है. कुभूषण जाधव पर पाकिस्तान सरकार ने जासूसी करने और आतंकवाद जैसे संगीन आरोप लगाए हैं, जबकि भारत सरकार उन्हें एक निर्दोष नागरिक मानती है.

फिर फर्जी स्वीकारोक्ति का दांव
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में पाकिस्तान मुंह की खा चुका है. कुलभूषण जाधव के बारे में उसकी कहानी पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भी भरोसा नहीं किया. पाकिस्तान बार-बार फर्जी स्वीकारोक्ति का वीडियो जारी कर यह दावा करता है कि कुलभूषण आतंकी और जासूस थे. गुरुवार को इंटर-सर्व‍िसेज पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) ने एक बयान में दावा किया कि कुलभूषण जाधव ने यह स्वीकार कर लिया है कि वह पाकिस्तान में जासूसी, आतंकवाद और विध्वंसक गतिविध‍ियों में शामिल थे और उनकी वजह से जान-माल का भारी नुकसान हुआ.

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पाकिस्तानी सेना के बयान में कहा गया है कि कुलभूषण जाधव ने अपनी दया याचिका में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से अनुरोध किया है कि वह दया करें और उनकी जान बख्श दें. कुलभूषण जाधव ने इसके पहले सैन्य अपीली अदालत में रिहाई की याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया था. पाकिस्तान के कानून के मुताबिक वह चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के सामने अपील कर सकते हैं और इसके रिजेक्ट होने पर वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति को दया याचिका भेज सकते हैं. पाकिस्तान ने अपराध स्वीकार करने का एक दूसरा कथित वीडियो जारी किया है. बयान के मुताबिक इसमें कुलभूषण आतंकवाद और जासूसी जैसे कृत्य में शामिल होने की स्वीकारोक्‍ित कर रहे हैं.

भारत ने उठाए पाक पर सवाल
विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दया याचिक को संदिग्ध बताया. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान की कार्रवाई में पारदर्शिता नहीं है. जाधव को राजनयिक मदद नहीं मिल रही है. भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तान द्वारा जाधव पर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया. जाधव द्वारा कथित दया याचिका का विवरण और परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं और यहां तक कि इसके अस्तित्व का तथ्य संदिग्ध है. भारत ने इस हफ्ते की शुरुआत में फिर से जाधव को कॉन्सलर एक्सेस की मांग की थी और उनके परिवार को वीजा का अनुरोध किया था.

भारत सरकार ने कहा कि गढ़े तथ्यों से वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है, और इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान भारत और जाधव के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्व का उल्लंघन करता है. भारत आईसीजे में मामले को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प है, और विश्वास है कि पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे इन अनुचित कदमों से प्रभावित किए बिना न्याय किया जाएगा.

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PAK सैन्य अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
46 वर्षीय पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को पिछले साल तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी. भारत की अपील पर अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. पाकिस्तान ने आईसीजे में कहा कि वियना समझौते में कंसुलर संपर्क से जुड़े प्रावधान आतंकी गतिविधियों में शामिल किसी जासूस के लिए नहीं है. भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ याचिका पर भारत को गत मई माह में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में बड़ी जीत मिली थी. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाए जाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया है.

अगस्त तक फांसी पर रोक
ICJ के जज जस्टिस रॉनी अब्राहम ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे जासूस बताने वाला पाकिस्तान का दावा नहीं माना जा सकता. पाकिस्तान ने अदालत में जो भी दलीलें दीं, वे भारत के तर्क के आगे कहीं नहीं ठहरतीं. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वियना संधि के तहत भारत को कुलभूषण जाधव तक कॉन्सुलर एक्सेस मिलना चाहिए. अब्राहम ने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी विवादित मुद्दा है. अगस्त 2017 में अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगी रहनी चाहिए.

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