पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव से मिलने गई मां और पत्नी के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार पर भारत सरकार ने गहरी निराशा जताई है, लेकिन उनकी निराशा के बीच कई विशेषज्ञों ने भारत सरकार के रवैए पर ही सवाल उठा दिए.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सदन में बयान से पहले सामरिक विशेषज्ञ प्रमोद पाहवा ने इस पूरे प्रकरण पर भारत सरकार को ही आड़े हाथों लिया. उन्होंने पूरे प्रकरण पर भारत सरकार को दोषी ठहराया. उनका कहना था कि सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. साथ ही उन्होंने सरकार को नसीहत दी कि भविष्य में उसे ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए. दूसरे देश की आलोचना करने के बजाए अपनी ओर भी देखना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय और सरकार ने कई गलतियां तो की हीं, लेकिन हमारी ओर से भी कई गलती हुई है. भारत को इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए था. हमें अपनी ओर भी देखना चाहिए, दूसरे देश की आलोचना करने से काम नहीं चलेगा.
दूसरी ओर, रक्षा विशेषज्ञ केके सिन्हा ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मामले पर अच्छे से डील कर सकती थी. उन्होंने कहा, "हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर तरीके से डील करना चाहिए था. पाकिस्तान एक नीच देश है और वो ऐसा हमेशा करता है. हमें तो डर था कि वहां की सरकार उनके साथ कहीं ज्यादा बुरा बर्ताव न कर बैठे. जाधव की मां और बीवी के साथ जो कुछ हुआ वो हमारे डर से कहीं कम था.
सिन्हा का मानना है कि हमको एक राष्ट्र के रूप में अपनी बात मजबूती के साथ रखनी चाहिए. हमें अपनी पहल में सुधार करना होगा. उन्होंने कहा, "पूरे प्रकरण में पाकिस्तान ही सिर्फ दोषी नहीं है, कुछ त्रुटिया हममें भी थी, इसमें हमें और सुधार करना चाहिए. यह जरूर है कि सरकार ने इस मामले में पूरी तैयारी नहीं की."
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सदन में बयान के बाद सामरिक विशेषज्ञ प्रमोद पाहवा ने फिर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि स्वराज के बयान का कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया है. लेकिन स्वराज के भाषण में ज्यादातर अंश भावनाओं का था, जबकि विदेश नीति और कूटनीति भावनाओं पर नहीं चला करती. हर चीज का परिणाम आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जाधव मामले में हमारे पास पूरे सुबूत हैं और अपनी बात प्रमुखता से रखी जानी चाहिए. उनका दावा है कि सरकार इस प्रकरण पर जरूरत से ज्यादा सॉफ्ट नजर आई, वह जनता की भावनाएं भड़का रही है. अपने भाषण में उन्होंने निंदा करने के अलावा और कुछ ठोस बात नहीं कही.
शुरुआत में ठीक था भारत का रवैया
केके सिन्हा भी सरकार के रवैए से थोड़े नाराज दिखे, हालांकि उन्होंने कहा कि पूरे केस की सबसे खास बात यह है कि कुलभूषण जाधव अभी जिंदा है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर लगता है कि जाधव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. उनको वहां टॉर्चर किया गया है. भारत ने केस के शुरुआत में सबसे अच्छी बात यही कही कि जाधव को अपना नागरिक माना. उसे जासूसी प्रकरण में फंसाए जाने का आरोप लगाया. तब भारत ने धमकी भी दी थी कि अगर जाधव के साथ कुछ अनहोनी हुई तो उसे मर्डर समझा जाएगा.
सिन्हा का मानना है कि भारत को इसका बदला लेना चाहिए. जरूरी नहीं कि लड़ाई के जरिए ही समाधान निकाला जाए. भारत को उसी की राह पर चलते हुए ऐसे 20 अवसर बनाने चाहिए, ताकि पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सके.
पाहवा ने भी कहा कि पाकिस्तान एक धूर्त देश है और उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा वो हमारे साथ कर रहा है. भारत को उसी की भाषा में जवाब देगा तभी काम होगा.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन में बयान देते हुए दावा किया कि भारत के दबाव के कारण पाकिस्तान इस मुलाकात को राजी हुआ था. लेकिन पाकिस्तान में जाधव की मां-बीवी के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि देश पाकिस्तान के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा.