विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने शुक्रवार को कहा कि हालांकि चीजें ‘उस दिशा में नहीं जा रहीं, जिसमें हम चाहते हैं,’ भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास में कमी वार्ता से ही ‘कम’ या ‘दूर’ की जा सकती है. इसी क्रम में कृष्णा ने यह कहते हुए पाकिस्तान में मुंबई हमलों की जांच पर नाखुशी भी जताई कि चीजें ‘उस दिशा में नहीं जा रहीं, जिसमें हम चाहते हैं.’
कृष्णा ने कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता बहाल करने का फैसला दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने किया था. विदेश मंत्री ने पत्रकारों से कहा ‘मेरा पूरा ध्यान अपनी पाकिस्तान यात्रा की ओर है. मेरे प्रयास दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी दूर करने से शुरू होंगे. मेरी यात्रा इस विश्वास में कमी को दूर करने की कोशिश पर होगी.’
उन्होंने कहा ‘विश्वास की यह कमी तभी कम या दूर हो सकती है, जब हम लगातार मिलें और बात करें. हम अभी सिर्फ कोशिश कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान भारत की कोशिशों में कमी नहीं पाएगा.’ कृष्णा 15 जुलाई को इस्लामाबाद जा रहे हैं. कृष्णा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह वक्तव्य भी दोहराया कि अगर पाकिस्तान मुंबई हमलों के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे, तो वह दोनों देशों के बीच की दूरी का आधे से भी ज्यादा रास्ता पार करेंगे.
कृष्णा ने कहा ‘लेकिन चीजें हमारे आकलन के हिसाब से सही दिशा में नहीं जा रही हैं, लेकिन फिर भी, हम इसे खत्म नहीं कर सकते, हमें पाकिस्तान से मिलना-जुलना जारी रखना होगा, हमें उससे बात करनी ही होगी और हम ऐसा कर भी रहे हैं.’ तालिबान पर उन्होंने कहा कि इस बात में कोई शंका नहीं है कि वह एक आतंकी संगठन है, लेकिन अगर वह हिंसा छोड़ दे और दूसरे आतंकी संगठनों से खुद को अलग कर ले तो उसे मुख्यधारा में लाया जा सकता है.
विदेश मंत्री ने कहा ‘अफगानिस्तान की सरकार और वहां के लोग भी, अगर वे तालिबान के साथ काम करना चाहें और तालिबान खुद को सभी आतंकी संगठनों से दूर करके कानून, अफगानिस्तान के संविधान और कानून से बनी सरकार के हिसाब से काम करने लगे, अगर यह सब तालिबान को स्वीकार हो तो शायद राष्ट्रपति करजई उससे बात करने की स्थिति में हों.’