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17वीं लोकसभा में पहली बार हुआ कुछ ऐसा, जल्दी स्थगित करनी पड़ी सदन की कार्यवाही

लोकसभा में बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल जल संकट पर लाए गए प्राइवेट मेंबर बिल पर अपनी बात रख रहे थे. इसी दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद भगवंत मान ने कहा कि सदन में कोरम पूरा नहीं है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ सत्ताधारी दल के सांसद बल्कि विपक्षी सांसद भी सदन में नहीं हैं.

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खाली पड़ी लोकसभा की सीटें
खाली पड़ी लोकसभा की सीटें

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लोकसभा में शुक्रवार को कोरम न पूरा होने की वजह से सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कोरम न पूरा होने का मुद्दा सदन में उठाया, जिसके बाद डिप्टी स्पीकर ने कहा कि आज गैर सरकारी काम काज का दिन है. लेकिन मान ने कहा कि सत्ता पक्ष के ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के सांसद भी सदन से नदारद हैं.

लोकसभा में बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल जल संकट पर लाए गए प्राइवेट मेंबर बिल पर अपनी बात रख रहे थे. इसी दौरान AAP सांसद भगवंत मान ने कहा कि सदन में कोरम पूरा नहीं है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ सत्ताधारी दल के सांसद बल्कि विपक्षी सांसद भी सदन में नहीं है. मान ने पूछा कांग्रेस कहां है, टीएमसी कहां है. इसके बाद सदन में कोरम वेल बजाई गई.

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भगवंत मान ने उठाया मुद्दा

सत्ताधारी दल की ओर से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने मान को समझाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री सदन में बैठे हैं. साथ ही सत्तापक्ष की ओर से कहा गया कि प्राइवेट मेंबर बिल के दौरान कोरम का मुद्दा मान को नहीं उठाना चाहिए. इसे उठाकर वह न सिर्फ सत्तापक्ष को बल्कि अपने साथी विपक्षियों पर भी सवाल उठा रहे हैं. आसन पर इस दौरान उपसभापति राजेंद्र अग्रवाल बैठे थे. इसके बाद उपसभापति ने सदन को बताया कि कोरम पूरा नहीं है और सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जाता है.

17वीं लोकसभा में 260 से ज्यादा सांसद पहली बार चुनकर आए हैं और ऐसे में नए सांसदों का सदन में गैरमौजूद रहना सवाल खड़े करता है. सदन में प्राइवेट मेंबर विधेयकों पर चर्चा से पहले जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पारित हुआ था और इस पर लंबी चर्चा हुई थी. गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में चर्चा का जवाब दिया और तब सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष के भी ज्यादातर सांसद मौजूद थे. लेकिन गैर सरकारी कामकाज के दौरान सदन से ज्यादातर सांसद चले गए जिसकी वजह से कोरम तक पूरा नहीं हो सका.

क्या होता है कोरम?

सदन की बैठक के लिए न्यूनतम आवश्यक सदस्यों की संख्या को कोरम कहते हैं. इस न्यूनतम आवश्यक संख्या की मौजूदगी के बिना सदन में किसी विधायी कार्य को मान्यता नहीं दी जा सकती. सदन चलाने के लिए इस न्यूनतम संख्या में सदस्यों की मौजूदगी जरूरी होती है. हर सदन में पीठासीन अधिकारी समेत कुल सदस्यों की संख्या का दसवां हिस्सा होता है. इसका मतलब है कि अगर लोकसभा में कोई कार्य करना है तो कम से कम 55 सदस्य अवश्य सदन में होने चाहिए.

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