6 राज्यों की 13 राज्यसभा सीटों पर 21 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं. एनडीए सरकार के पास उच्च सदन में कम सीटें हैं लेकिन इन चुनावों का वो फायदा उठा सकती है. सरकार सात सीटों के लिए नामों की सिफारिश दे सकती है, ताकि जीएसटी जैसे अहम बिल को पास कराने में उसे मदद मिल सके.
पांच मनोनीत सदस्य 21 मार्च को रिटायर हो रहे हैं, जबकि दो अन्य अशोक गांगुली और एच.के. दुआ पहले ही रिटायर हो चुके हैं. 21 मार्च को मणि शंकर अय्यर, जावेद अख्तर, बी. जयश्री, मृणाल मिरी और बालचंद्र मुंगेकर रिटायर हो रहे हैं.
किसी का साथ देने के लिए बाधित नहीं मनोनीत सदस्य
राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से 12 मनोनीत सदस्य होते हैं. फिलहाल उच्च सदन में मनोनीत सदस्यों की संख्या 10 है. सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति उन सदस्यों को चुनते हैं, जो साहित्य, विज्ञान, कला या समाजसेवा के क्षेत्र में सफलता हासिल कर चुके हों. मनोनीत सदस्य सदन में किसी भी पार्टी, सदस्य या सरकार का साथ देने के लिए बाधित नहीं होते, बल्कि किसी भी मुद्दे पर सरकार या विपक्ष का साथ दे सकते हैं और निष्पक्ष रहते हैं.
ये सीटें हो रही हैं खाली
जहां तक 21 मार्च को 13 सीटों पर होने वाले द्विवर्षीय चुनाव का सवाल है, तो इनके यथा स्थिति बने रहने की संभावना है. फिलहाल 13 में से पांच सीटें कांग्रेस के पास हैं, तीन सीटों पर सीपीएम है जबकि बीजेपी और एसएडी के पास एक-एक सीट हैं. नागा पीपल्स फ्रंट के खेकिहो जिमोनी का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था, जिसके बाद वो सीट खाली हो गई थी. खाली होने जा रही पंजाब की पांच सीटों में से दो-दो सीटें कांग्रेस और एसएडी के पास हैं जबकि एक पर बीजेपी है.
त्रिपुरा में खाली होने जा रही एक सीट सीपीएम के पास है. केरल से तीन सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से दो सीपीएम और एक कांग्रेस के पास हैं. असम में कांग्रेस की दो सीटें खाली हो रही हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश की इकलौती सीट फिलहाल बीजेपी के पास है. पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी, पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार और पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एम.एस. गिल का कार्यकाल भी अप्रैल में खत्म होने जा रहा है.