जिस शख्स को तलाश कर रही है पूरी दुनिया की पुलिस, जिसके पीछे लगी है पूरी दुनिया की खुफिया एजेंसियां, लेकिन अब तक जिसका सुराग तक नहीं मिला. अमेरिका के एक भूवैज्ञानिक ने दावा किया है कि उसने उसे ढूंढ निकाला है.
दावा किया गया है कि ओसामा बिन लादेन के नए अड्डे का पता चल गया है और वो जगह है पाकिस्तान में पाराचिनार. अमेरिका के एक रिसर्च ग्रुप की रिपोर्ट पर यकीन करें तो पाराचिनार ही वो इलाका है जहां ओसामा ने शरण ले रखी है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भू- वैज्ञानिक थॉमस जिलेस्पी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुमकिन है कि ओसामा बिन लादेन पाराचिनार के तीन कंपाउंड में से किसी एक में छिपा हुआ हो और जिलेस्पी की ये रिपोर्ट अमेरिकी खुफिया सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों और ज्यॉगरफिकल एनालिटिकल टूल्स की मदद से तैयार की गई है.
ये एक ऐसी तकनीक है जिसके इस्तेमाल से कई शातिर फरार अपराधियों के ठिकानों का पता लगाया जा चुका है. पाकिस्तान का पाराचिनार अफगानिस्तान की सीमा से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर है और जलालाबाद की तोराबोरा पहाड़ियां जहां पिछली बार ओसामा बिन लादेन को आखिरी बार देखा गया था वहां से भी इसकी दूरी ज्यादा नहीं. डिस्टेंस डिके थ्योरी के मुताबिक भगोड़े अपराधियों के उन्हीं इलाकों में पाए जाने की गुंजाइश ज्यादा होती है जहां उन्हें आखिरी बार देखा गया था. लेकिन रिसर्च ग्रुप का दावा सिर्फ इस थ्योरी पर टिका हुआ नहीं.
उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में मीडिया में छपी रिपोर्ट के आधार पर ओसामा बिन लादेन की आदतों औऱ उसकी शख्सियत के बारे में जितनी जानकारी हासिल हुई है उसे सैटेलाइट के जरिए खुफिया निगरानी के दौरान भी ध्यान में रखा गया है. मसलन रात में बिजली के जलने बुझने के तरीके, लोगों की आमद-रफ्त और ऐसी कई दूसरी चीजें. रिपोर्ट में कहा गया है कि पारा चिनार की भौगोलिक और सामरिक स्थिति उसे ओसामा जैसे खतरनाक आतंकवादियों के छिपने की सबसे मुफीद जगह बनाता है.
जिलेस्पी का मानना है कि ओसामा जैसा शातिर आतंकवादी खुद को किसी पहाड़ी गुफा में कैद करके नहीं रखना चाहेगा. उसे तलाश होगी ऐसी जगह की जहां से उसके लिए निकल भागना भी आसान हो और छिपे रहना भी. इसलिए पहाड़ी गुफा की बजाय ओसामा के इस तरह के छोटे सीमावर्ती शहरों में दुबके होने की संभावना ज्यादा है. हालांकि जिलेस्पी की इस रिपोर्ट पर सियासी और सामरिक हलकों से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है लेकिन फिलहाल इस रिपोर्ट को खारिज भी नहीं किया जा रहा.