यूपी के लखीमपुर खीरी की चर्चित महिला डीएम किंजल सिंह एक फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उनकी चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि वे रात को दुधवा नेशनल पार्क के जंगल में जाती हैं और आधी रात को वहां से लौटती हैं.
किंजल सिंह का यह शौक वन विभाग के अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. यह वो जंगल है, जहां खुले तौर पर शेर, भालू, चीते, भेड़िए घूमते हैं. कहा जाता है कि किंजल दुधवा के किशनपुर के जंगलों में गैरकानूनी तरीके से रात्रि भ्रमण पर निकलती और रात्रि विश्राम करती हैं.
दुधवा नेशनल पार्क के अधिकारियों ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि डीएम किंजल सिंह और उनके साथ चल रहा स्टाफ रात्रि विश्राम के दौरान मदिरापान भी करता है. आरोप ये भी है कि इनके काफिले के शोर-गुल से परेशान होकर एक बाघिन अपने चार शावकों के साथ पार्क क्षेत्र से बाहर दक्षिण खीरी वन प्रभाग के आबादी वाले इलाके की ओर चली गई है.
जिलाधिकारी लखीमपुर के जंगल भ्रमण और औचक निरीक्षण से परेशान होकर फेडरेशन ऑफ फॉरेस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के सदस्य एवं दुधवा वन उद्यान के वन अधिकारियों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर उन पर कार्रवाई की मांग की है. फेडरेशन ऑफ फॉरेस्ट एसोसिएशन के लेटरहेड पर मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में डीएम किंजल सिंह पर संगीन आरोप लगाते हुए उनसे वन्य जीवों की जान को खतरा तक बता दिया गया है.
हालांकि किंजल सिंह ने इन सारे आरोपों को गलत करार देते हुए कहा है कि वो रात में अगर उद्यान में गई भी हैं, तो इसलिए कि दुधवा फॉरेस्ट गार्डन के अंदर कई मधेशी बहुल गांव है और वो लोग नेपाल मे चल रहे आंदोलन को समर्थन दे रहें हैं. इसके अलावा वर्तमान में जारी पंचायत चुनाव के कई दर्जन बूथ फॉरेस्ट रेंज के अंदर हैं. इस हालात में अगर वो भारत-नेपाल सीमा के गांवों तक जाती हैं, तो दौरे के दौरान रात होने पर वो कहां रुकेंगी.
गौरतलब है कि लखीमपुर की डीएम वन क्षेत्र में रहने वाली थारू जनजाति के लिए चलाई जा रही विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वन और जनजाति की लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के अपने प्रयासों के चलते चर्चा में हैं.
वन विभाग के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से की शिकायत
लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में इस समय तैनात 80 प्रतिशत स्टाफ 50 साल के ऊपर का है. जंगल में रात को प्रवेश वर्जित रहता है. आरोप है कि ऐसी स्थिति में वन विभाग के नियम-कायदों के विपरीत जिलाधिकारी किंजल सिंह रात में अक्सर जंगल में आती हैं. उनके साथ कुछ और लोग भी होते हैं. जब उन्हें आने से मना किया जाता है, तो वे अपने अधिकारों का हवाला देकर अंदर प्रवेश करती हैं. उनके साथ आए लोगों की जंगली जानवरों से इतनी रात को रक्षा करना एक कठिन काम है. इससे न केवल उन्हें असुरक्षा होगी, बल्कि अन्य लोगों का भी साहस जंगल में रात में आने को बढ़ेगा.
क्या कहना है डीएम किंजल सिंह का
इस पूरे मामले पर लखीमपुर खीरी डीएम किंजल सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि वे कभी निजी काम से दुधवा नेशनल पार्क में नहीं गई हैं. किंजल ने कर्मचारियों के आरोप पर कहा कि इसमें कुछ दम नहीं है.
हो सकती है ये खास वजह
किंजल अपने जिले के अंतर्गत आने वाले दुधवा नेशनल पार्क के दौरे पर अक्सर जाती हैं. वहां की व्यवस्थाओं पर कड़ी नजर रखती हैं. उनके बतौर डीएम इन दौरों से परेशान वन विभाग से जुड़े लोगों ने कुछ दिन पहले विभाग के सरकारी रेस्ट हाउस में कमरा भी नहीं आवंटित किया. उधर किंजल की सख्ती और दौरे बार-बार हो रहे थे. परेशान या गुस्साए वन विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेज डीएम किंजल सिंह के खिलाफ कड़ी कारवाई की मांग की है.
दुधवा नेशनल पार्क की है ख्याति
नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ यह 81 किलोमीटर लम्बा जंगल खासा जाना-माना है. लखीमपुर खीरी में दुधवा नेशनल पार्क ऐसा जंगल है, जो दुनिया में प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है. लेकिन वहां पर्यटकों या आम आदमियों को जाने पर कुछ महीने प्रतिबन्ध लगा रहता है.
खूंखार जंगली जानवरों से हो गया है प्यार?
वन विभाग एसोसिएशन ने जो पत्र लिखा है, उसके मुताबिक जंगल में एक शेर ने नए शावकों को जन्म दिया है. यह बात जिलाधिकारी किंजल सिंह को पता है. वे उन शावकों से मिलना चाहती हैं. अगर शावकों से मिलने का प्रयास किया गया, तो शेरनी और शेर हमला बोल सकते हैं. यही नहीं, कहा गया है कि उन्हें अन्य खूंखारों जंगली जीवों से भी प्यार हो गया है, जिनका रात के अंधेर में वे दीदार करना चाहती हैं.
अच्छे काम के लिए भी चर्चा में रही हैं किंजल
वन क्षेत्र में रहने वाली थारू जनजाति के लिए चलाई जा रही विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन और जनजाति की लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की अपनी कोशिशों के लिए किंजल को काफी सराहना मिली है. इसके लिए उन्हें इनाम भी मिल चुका है.