लालू मंच पर आए और छा गए. कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को आरजेडी की परिवर्तन रैली में देखने को मिला. लालू ने रैली का आयोजन किया लेकिन वो खुद ही तकरीबन तीन घंटे की देरी से गांधी मैदान पहुंचे. पर जब पहुंचे, तो चंद ही मिनटों में पूरे कार्यक्रम की कमान संभाल ली.
पहले मंच पर मौजूद भीड़ को हटाने में जुट गए. मैदान में खड़ी भीड़ बेकाबू हुई, तो माइक के जरिए ही उन्हें भी निर्देश देने लगे. यह सिलसिला कुछ मिनटों तक जारी रहा. अगर गुस्सा आता, तो समर्थकों को डांट भी डालते.
जब लालू एक्शन में आ जाएं, तो किसी की मजाल जो उनकी बात न माने. आखिरकार 10 मिनट के अंदर ही व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो गई और कार्यक्रम अपने प्लान के मुताबिक सरपट चालू.
पर कार्यकर्ता भी क्या करें? बार-बार भावनाओं पर नियंत्रण ही न रहे. बीच-बीच में नारेबाजी करने लगते. पर यह नारेबाजी लालू को पसंद न आई. बात लालू की नापसंद की हो, तो कार्यकर्ताओं को भावनाओं पर नियंत्रण करना ही पड़ेगा.
लालू का मंच मैनेजमेंट यहीं नहीं रुका. अपने भाषण के दौरान भी चिर-परिचित अंदाज में समर्थकों को डांटते नजर आएं. कभी विरोधियों पर निशाना साधते तो अति-उत्साहित समर्थकों की 'क्लास' लगाने का मौका भी नहीं चूकते.
आखिर बात जब लालू की हो, तो उनके इस अनोखे अंदाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. परिवर्तन रैली से बिहार में परिवर्तन आएगा या नहीं, यह बाद की बात है, पर लालू के मंच मैनेजमेंट से चंद मिनटों में आए बदलाव को तो पूरे देश ने देखा.