जनता परिवार की 6 पार्टियों ने भले ही औपचारिक तौर पर विलय का ऐलान कर दिया हो, पर नई बनने वाली पार्टी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को पटना में एक ही मंच पर दिखना था, पर ऐसा हो न सका.
पटना में रविवार को प्रजापति राजनीतिक रैली में नीतीश और लालू को भी शिकरत करना था, पर रैली में सिर्फ लालू ही आए, नीतीश नहीं. विलय की घोषणा के बाद पहली बार लालू-नीतीश को एक मंच पर देखने की लोगों की ख्वाहिशें अधूरी रह गईं. ऐसे में अटकलबाजियां भी शुरू हो गईं.
इस मसले पर जेडीयू के सीनियर नेता वशिष्ठ नारायण सिंह ने सफाई दी कि व्यस्त रहने की वजह से नीतीश कुमार नहीं आ सके. उन्होंने कहा, 'लालू-नीतीश दो जान हैं, पर उनकी जुबान एक ही है.'
वैसे रैली में सीएम नीतीश कुमार के नहीं आने से प्रजापतियों की आस को भी धक्का लगा. रैली खत्म होने के बाद 'मुर्दाबाद' के नारे भी लगाए गए.
लालू ने गरीबों से एकजुट होने को कहा
पटना के गांधी मैदान में आयोजित प्रजापति समाज चेतना रैली को संबोधित करते हुए लालू प्रसाद ने गरीब और दबे-कुचले वर्ग के लोगों से कहा कि अब समय आ गया है, आप सभी बीजेपी के रथ को रोकने तथा जनता परिवार की जीत तय करने के लिए एकजुट हो जाएं.
खुद को जीवन भर सामाजिक न्याय का झंडाबरदार बताते हुए लालू ने गरीब और दबे-कुचले लोगों से जनता परिवार को अपना ‘असली घर’ समझने की भावनात्मक अपील की.
लालू ने कहा कि साल 1990 में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने सहित वे जीवन भर पिछड़े और गरीब लोगों के अधिकार के लिए लड़ते रहे. उन्होंने रैली में भाग ले रहे कुम्हार जाति से कहा कि बीजेपी एक कंकड़ (मिट्टी का घड़ा और बर्तन बनाने में बाधक) है, जिसे वे निकाल फेंके.
लालू ने इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता परिवार के दो-तिहाई बहुमत से विजयी रहने और सरकार बनाने का दावा दावा किया.