संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने कहा कि इस ओर समिति बनाकर समीक्षा किए जाने की जरूरत है, वहीं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्विटर पर इस ओर पलटवार किया है. लालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी में हिम्मत है तो वह आरक्षण खत्म करके दिखाए.
बिहार चुनाव में जेडीयू और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लड़ाई लड़ रहे लालू प्रसाद ने कहा, 'आरएसएस, बीजेपी आरक्षण खत्म करने का कितना भी सुनियोजित माहौल बना ले. देश का 80 फीसदी दलित, पिछड़ा इनका मुंहतोड़ करारा जवाब देगा.' लालू यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी ने मां का दूध पिया है तो वह आरक्षण खत्म करके दिखाए.
आरएसएस,बीजेपी आरक्षण खत्म करने का कितना भी सुनियोजित माहौल बना ले देश का 80 फ़ीसदी दलित, पिछडा इनका मुंहतोड़ करारा जवाब देगा
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 21, 2015
तुम आरक्षण खत्म करने की कहते हो,हम इसे आबादी के अनुपात में बढ़ायेंगे.माई का दूध पिया है तो खत्म करके दिखाओ?किसकी कितनी ताकत है पता लग जायेगा
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 21, 2015
आरजेडी प्रमुख ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या हाल ही पिछड़ा बने मोदी अपने आका मोहन भागवत के कहने से आरक्षण खत्म करेंगे?
तथाकथित चाय बेचने वाला, हाल ही में पिछड़ा बना मोदी बतायें कि वो अपने आका मोहन भागवत के कहने से आरक्षण खत्म करेंगे की नहीं ?
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 21, 2015
क्या कहा मोहन भागवत ने
आरक्षण पर राजनीति और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सुझाव दिया है कि एक समिति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि कितने लोगों को, कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसी समिति में राजनीतिकों से ज्यादा ‘सेवाभावियों’ का महत्व होना चाहिए.
भागवत ने अपने संगठन के मुखपत्रों 'पांचजन्य' और 'ऑर्गेनाइजर' में दिए साक्षात्कार में यह सुझाव दिया है. उन्होंने कहा, 'संविधान में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग पर आधारित आरक्षण नीति की बात है, तो वह वैसी हो जैसी संविधानकारों के मन में थी. वैसा उसको चलाते तो आज ये सारे प्रश्न खड़े नहीं होते. उसका राजनीति के रूप में उपयोग किया गया है. हमारा कहना है कि एक समिति बना दो, जो राजनीति के प्रतिनिधियों को भी साथ ले, लेकिन इसमें चले उसकी जो सेवाभावी हों. उनको तय करने दें कि कितने लोगों के लिए आरक्षण आवश्यक है और कितने दिनों तक उसकी आवश्यकता पड़ेगी.'