scorecardresearch
 

भागवत पर बरसे लालू, कहा- माई का दूध पिया है तो खत्म करके दिखाओ आरक्षण

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने कहा कि इस ओर समिति बनाकर समीक्षा किए जाने की जरूरत है, वहीं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्विटर पर इस ओर पलटवार किया है. लालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी में हिम्मत है तो वह आरक्षण खत्म करके दिखाए.

Advertisement
X
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर मौजूदा व्यवस्था में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने कहा कि इस ओर समिति बनाकर समीक्षा किए जाने की जरूरत है, वहीं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्विटर पर इस ओर पलटवार किया है. लालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर किसी में हिम्मत है तो वह आरक्षण खत्म करके दिखाए.

Advertisement

बिहार चुनाव में जेडीयू और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लड़ाई लड़ रहे लालू प्रसाद ने कहा, 'आरएसएस, बीजेपी आरक्षण खत्म करने का कितना भी सुनियोजित माहौल बना ले. देश का 80 फीसदी दलित, पिछड़ा इनका मुंहतोड़ करारा जवाब देगा.' लालू यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी ने मां का दूध पिया है तो वह आरक्षण खत्म करके दिखाए.

आरजेडी प्रमुख ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या हाल ही पिछड़ा बने मोदी अपने आका मोहन भागवत के कहने से आरक्षण खत्म करेंगे?

क्या कहा मोहन भागवत ने
आरक्षण पर राजनीति और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सुझाव दिया है कि एक समिति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि कितने लोगों को, कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसी समिति में राजनीतिकों से ज्यादा ‘सेवाभावियों’ का महत्व होना चाहिए.

भागवत ने अपने संगठन के मुखपत्रों 'पांचजन्य' और 'ऑर्गेनाइजर' में दिए साक्षात्कार में यह सुझाव दिया है. उन्होंने कहा, 'संविधान में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग पर आधारित आरक्षण नीति की बात है, तो वह वैसी हो जैसी संविधानकारों के मन में थी. वैसा उसको चलाते तो आज ये सारे प्रश्न खड़े नहीं होते. उसका राजनीति के रूप में उपयोग किया गया है. हमारा कहना है कि एक समिति बना दो, जो राजनीति के प्रतिनिधियों को भी साथ ले, लेकिन इसमें चले उसकी जो सेवाभावी हों. उनको तय करने दें कि कितने लोगों के लिए आरक्षण आवश्यक है और कितने दिनों तक उसकी आवश्यकता पड़ेगी.'

Advertisement
Advertisement