पिछले कई दिनों से करप्शन के आरोपों को लेकर घेरे में आए राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के कई ठिकानों पर आज आयकर विभाग के छापे पड़े हैं. इन छापों की चोट से राज्य के राजनीतिक समीकरण भी बदलते नजर आ रहे हैं. खुद लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट के जरिए इन अटकलों पर जैसे मुहर लगा दी है. हालांकि लालू ने बाद में अपने पहले ट्वीट की सफाई में ट्वीट्स की झड़ी लगा दी और मामला मीडिया व सरकारी एजेंसियों की ओर मोड़ दिया.
इनकम टैक्स के छापों से घिर गए लालू यादव
इनकम टैक्स विभाग ने मंगलवार सुबह लालू प्रसाद यादव के 22 ठिकानों पर छापेमारी की. ये छापे बेनामी संपत्ति के मामले में मारे गए हैं. इन छापों के बाद लालू यादव ने ट्वीट किया कि बीजेपी को नया गठबंधन सहयोगी मुबारक हो. लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं है. जबतक आखिरी सांस है फासीवादी ताकतों के ख़िलाफ़ लड़ता रहूंगा. लालू के इस ट्वीट के बारे में माना जा रहा है कि वो किसी और को नहीं बल्कि राज्य में अपनी सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड को बीजेपी का नया सहयोगी बता रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ दिनों से आरजेडी और जेडीयू के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं.
BJP को नए Alliance partners मुबारक हों। लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं है।जबतक आख़िरी साँस है फासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ लड़ता रहूँगा।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 16, 2017
सुशील मोदी ने दिया था समर्थन का इशारा
बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सुशील मोदी पिछले कुछ दिनों से लालू यादव और उनके परिवार को करप्शन के आरोपों में घेरते जा रहे हैं. शुरुआत मिट्टी घोटाले से की गई जिसमें लालू के परिवार पर सवाल उठे. उसके बाद मीसा भारती की दिल्ली में बेनामी संपत्ति को निशाना बनाया गया और आज आयकर के छापे भी पड़ गए. खास बात ये है कि सुशील मोदी जहां लालू यादव पर हमलावर हैं वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू इससे बची हुई है. यहां तक कि सुशील मोदी ने कुछ दिन पहले साफ-साफ कहा था कि अगर नीतीश लालू यादव से अलग होती है तो बीजेपी उन्हें समर्थन देने पर विचार कर सकती है.
नीतीश ने पीएम पद को लेकर दिया बड़ा बयान
नीतीश कुमार ने कल प्रधानमंत्री पद की अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर लगाई जा रही अटकलों को एकदम खारिज करते हुए साफ कहा कि वो मूर्ख नहीं हैं और उनकी पीएम कैंडिडेट बनने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. नीतीश के इस बयान को एक तरह से एनडीए में उनकी एंट्री की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि विपक्ष और मीडिया का एक तबका अक्सर 2019 के आम चुनावों में मोदी के सामने नीतीश के खड़े होने की भविष्यवाणी करता रहा है.
क्या कहते हैं बिहार के समीकरण
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की संख्या चाहिए. इस समय जेडीयू के 71, आरजेडी के 80 जबकि कांग्रेस के 27 विधायकों वाली महागठबंधन सरकार चल रही है. यदि नीतीश आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में जाते हैं तो कांग्रेस के 27 विधायक भी सरकार से हट जाएंगे. ऐसे में नीतीश को सरकार बचाने के लिए 51 और विधायकों की जरूरत होगी. विधानसभा में बीजेपी के 53 विधायक हैं. इसके अलावा एलजेपी के 2, आरएलएसपी के 2, एचएएम के 1, सीपीआई एमएल लिब्रेशन के तीन और स्वतंत्र 4 विधायक हैं. यानी जेडीयू और बीजेपी मिलकर सरकार बना सकते हैं क्योंकि दोनों पार्टियों के विधायकों का आंकड़ा कुल मिलाकर 124 बैठता है.
नीतीश को नहीं है बीजेपी से कोई एलर्जी
नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं. वे वाजपेयी सरकार के दौरान रेलमंत्री भी थे. यानी नीतीश को विचारधारा के स्तर पर बीजेपी से कोई परेशानी नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी से उनकी व्यक्तिगत अदावत के चलते बीजेपी से उनका गठबंधन टूटा और विधानसभा चुनाव में उन्हें महागठबंधन करना पड़ा लेकिन लालू के साथ नीतीश कभी उतने सहज नहीं रहे. दूसरी ओर नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते पिछले दो साल में काफी सुधरे हैं. ऐसे में एक बार फिर बिहार में नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बने तो इसमें चौंकने वाली बात नहीं होगी.