राज्यसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पास कराने को लेकर सरकार के लिए संकट है लेकिन इससे निपटने के लिए पीएम मोदी की पूरी तैयारी है. मोदी ने अपने दिग्गज मंत्रियों को छोटी पार्टियों को मनाने के मिशन पर लगा दिया है. जरूरत पड़ने पर बिल में जरूरी बदलाव की भी तैयारी है.
भूमि अधिग्रहण बिल को सरकार अगले सोमवार को लोकसभा में लेकर आएगी. सरकार ने इस बिल को अपनी नाक का सवाल बना लिया है और यही वजह है कि सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगाकर विपक्ष के मंसूबों को नाकाम करना चाहती है. राज्यसभा के अंक गणित को समझते हुए प्रधानमंत्री ने अपने चार वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, वेंकैया नायडू को छोटी-छोटी पार्टियों को मानाने की जिम्मेदारी दी थी. राजनाथ सिंह ने टीएमसी और बीजेडी से बात की और अरुण जेटली ने अकाली दल और शिवसेना को मनाने की कोशिश की. वेंकैया नायडू AIAMDMK और DMK से बात कर रहे हैं.
बिल में बदलाव कर सकती है सरकार
पीपीपी प्रोजेक्ट पर सरकार संशोधन ला सकती है कि अधिग्रहित की गई भूमि का मालिकाना हक सरकार का रहेगा. नेशनल हाईवे के 2 किलोमीटर के दायरे में ही निजी उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण किया जाएगा. सोशल सेक्टर के लिए की गई भूमि अधिग्रहण में निजी कंपनियों की कोई भागेदरी नहीं होगी. भूमि अधिग्रहण से पहले किसान की सहमति लेनी चाहिए इस नियम में भी बदलाव करने को सरकार तैयार है.
सरकार ने विपक्ष को ये भी संदेश दे दिया है कि वो उनके अच्छे सुझावों को मानने के लिए तैयार है. हालांकि सरकार इस बिल पर ज्यादा ज्यादा झुकने को भी राजी नहीं है और इसलिए सरकार ये भी इशारा कर रही है कि वो जरूरत पड़ने पर संयुक्त सत्र भी बुला सकती है.