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...जब अपनी अंतिम यात्रा पर निकली तारिषी

ढाका आतंकी हमले में मारी गई भारतीय लड़की तारिषी सोमवार को गुड़गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया. तारिषी की याद में रोते-बिलखते परिवार जनों के जहन में एक ही सवाल था कि आतंक की भेंट चढ़ी उनकी बेटी का क्या कसूर था.

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तारिषी
तारिषी

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'मेरी बच्ची को सोने दो, उसे दोबारा क्यों जलाने लाए हो, एक बार भून तो चुके हैं वो आतंकवादी. मेरी बच्ची मेरी जान का हिस्सा है, वो मेरे कलेजे का टुकड़ा है, उसे सोने दो.' ये एक मां की पुकार है. लाचार मां की गुहार है, चीत्कार और टीस भी है.

होश में नहीं थी तारिषी की मां
हर बार होश में आते ही उसके मुंह से यही चीत्कार निकलती और फिर आंखें बंद हो जाती. जिस्म अकड़ जाता और चीत्कार धीरे-धीरे फुसफुसाहट में समा जाती. गुड़गांव के सेक्टर 29 के शमशान में तारिषी जैन की मां की ये हालत थी. भाई, चाचा और बहनों का भी बुरा हाल था. घर के सबसे जिंदादिल सदस्य को आतंकवाद की भेंट चढ़ते देखते रह गए.

कुरान ना पढ़ पाने पर मिली मौत की सजा
दहशतगर्दों ने तारिषी की हत्या कर दी थी. उसके साथ अन्य लोग भी थे, जिन्हें सिर्फ कलमा और कुरान ना पढ़ पाने की वजह से उन जालिमों ने मौत के घाट उतार दिया था. वो खुद को मुसलमान कहते हैं और उन्होंने ये काम रमजान के पवित्र महीने में किया. वो भी उस इस्लामिक देश की सरजमीं पर, जिसे वहां के लोग गर्व से आमार सोनार बांग्ला कहते हैं.

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पीयूष गोयल ने दिया तारिषी की अर्थी को कंधा
परिवार के गमगीन लोगों के साथ केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आए. गुड़गांव के डीएलएफ के कम्यूनिटी सेंटर से करीब साढ़े तीन बजे, जब तारिषी की अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो सबसे पहले अर्थी को कंधा देने वालों में गोयल भी थे और वे शमशान तक साथ रहे. उन्होंने सिर्फ सांत्वना ही नहीं दी, बल्कि ये भरोसा भी दिया कि आगे भी जब परिवार को जरूरत पड़ेगी, तो वो साथ खड़े रहेंगे.

अब एक देश की समस्या नहीं है आतंकवाद
वहीं ऑल इंडिया एंटी टेररिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा भी छड़ी टिकाए शून्य में ताकते नजर आए. जब उन्हें टोका गया, तो एकदम से बोल पड़े कि अब भी अगर आतंकवाद के खिलाफ दुनिया एकजुट नहीं होगी, तो कब होगी. अब ये किसी एक देश या इलाके की समस्या नहीं है. पूरी दुनिया इसका शिकार हो रही है. खूनी पंजों का शिकंजा बढ़ता जा रहा है.

आतंकवाद को शह देने वाले देशों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
अमेरिका सहित दुनिया के हर देश को इस बाबत सोचना ही नहीं है, बल्कि आतंकवाद को शह देने वाले देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी. बिट्टा ने कहा कि अमेरिका को इस बारे में गंभीरता से सोचना ही होगा. वर्ना आने वाली पीढ़ियां किसी को भी माफ नहीं करेंगी. बड़ा सवाल अब भी खड़ा है कि आखिर कब तक धर्म के नाम पर मौत और दहशत का ये शर्मनाक खेल चलता रहेगा. वो भी ये खेल वो खेल रहे हैं, जिन्हें उस मजहब का मर्म ही पता नहीं है.

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