रविवार आधी रात से केवल 15 मिनट पहले आखिरी तार के जरिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को संदेश भेजा गया.
टेलीग्राम का काउंटर रात 11:45 बजे बंद हुआ और 68,837 रुपये का राजस्व अर्जित किया गया. इसके साथ ही भारत में पीढ़ियों से अच्छी, बुरी खबर के लिए लोकप्रिय तार सेवा पूरी तरह बंद हो गई.
एक वरिष्ठ तार अधिकारी ने बताया कि आज कुल 2,197 बुकिंग हुईं जिनमें से कंप्यूटर के जरिए 1,329 जबकि फोन पर 91 तारों की बुकिंग हुईं.
देश में कई पीढियों तक दूरदराज से अच्छे बुरे संदेश को जल्दी से जल्दी भेजने का मुख्य माध्यम रही 163 साल पुरानी तार सेवा रविवार को इतिहास के पन्नों में सिमट गई.
राजधानी में 'तार सेवा' के आखिरी क्षणों को यादगार बनाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने रविवार को कतारों में खड़े होकर अपने प्रियजनों को तार भेजे.
एक समय लाखों लोगों के लिए संदेश पहुंचाने का सबसे तीव्र जरिया तार को अंतिम विदाई देने के साथ अंतिम टेलीग्राम को संग्राहल में रखे जाने का भी वादा किया गया.
हाल के सालों में इस सेवा को लगभग भुला दिया गया था पर इसके आखिरी दिन राजधानी में टेलीग्राफ सेंटर पर बड़ी संख्या में लोग अपने प्रियजनों को तार के जरिए संदेश देने के इरादे से इकट्ठा हुए. इनमें खासकर एंड्रॉइड फोन पर मल्टी मीडिया संदेश भेजन की शौकीन युवा पीढी के प्रतिनिधि भी थे.
पेशे से वकील आनंद साथियासीलन ने कहा, 'यह पहला मौका है जब मैं टेलीग्राम भेज रहा हूं यह संदेश मैंने अपने 96 साल के दादा जी को भेजा है जो त्रिची के समीप एक गांव में रहते हैं.' रीयल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक विकास अरविंद ने कहा कि वह बेरली में रह रहे अपने माता-पिता को बाधाई संदेश भेज रहे हैं.
अरविंद ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि वे इसे एक खूबसूरत याद के रूप में संजो कर रखेंगे.' भारत में तार सेवा सबसे पहले प्रायोगिक तौर पर 1850 में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच शुरू की गई थी. शुरू में इसका उपयोग ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया. 1854 में सेवा लोगों के लिए उपलब्ध हुई.
उन दिनों यह सूचनाएं भेजने का सबसे अहम जरिया था. देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत की संचार सेवा को बाधित करने के लिए तार लाइन को काटने का तरीका अपनाया था.
फोन, मोबाइल, एसएमएस और इंटरनेट क्रांति के साथ इस तार सेवा का महत्व खत्म हो गया.