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शहीदों को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं: लता मंगेशकर

'ऐ मेरे वतन के लोगों..' गीत को 27 जनवरी 1963 को लता जी ने पहली बार दिल्‍ली के नेशनल स्‍टेडियम में गाया था. सोमवार को इस गीत को 51 साल पूरे हो गए. इससे पहले रविवार को लता जी ने ट्वीट कर इस गीत से जुड़ी अपनी भावनाओं को देशवासियों से साझा किया.

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लता मंगेशकर
लता मंगेशकर

'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी. जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी.'
लता मंगेश्‍ाकर का गाया यह गीत देश में वीर जवानों के समर्पण का पर्याय बन चुका है. 27 जनवरी 1963 को लता जी ने यह गीत पहली बार दिल्‍ली के नेशनल स्‍टेडियम में गाया था. सोमवार को इस गीत को 51 साल पूरे हो गए. इससे पहले रविवार को लता जी ने ट्वीट कर इस गीत से जुड़ी अपनी भावनाओं को देशवासियों से साझा किया.

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अपने ट्वीट में लता जी ने गीत को लिखने वाले कवि प्रदीप, इसे संगीत देने वाले सी. रामचंद्र और गीत पर आंसू बहाने वाले पंडित नेहरू समेत सभी देशवासियों को याद किया. लता जी ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्‍हें प्रणाम किया.

पढ़िए क्‍या लिखा लता जी ने ट्विटर पर उन्‍हीं के शब्‍दों में...
'नमस्‍कार. 'ऐ मेरे वतन के लोगों' इस गाने को 51 साल पूरे हो रहे हैं. ये साल कैसे गुजरे पता नहीं चला परंतु उस समय जो गंभीर और दुख भरा वातावरण था वो हर साल याद आता है. हमारे एक-एक जवान ने दस-दस दुश्‍मन मारे और फिर शहीद हो गए. उन शहीदों की याद में ये गीत मैंने 27 जनवरी 1963 को हम सब के प्रिय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के सामने प्रस्‍तुत किया. सबकी आंखे भर आई थी. ऐसा दर्द भरा गीत हमारे कवि प्रदीप जी ने लिखा था और उसकी धुन सी. रामचंद्र जी ने बनाई थी. हम हमारे शहीद जवानों को कैसे भूल सकते हैं. हमारे जवान हैं तो हमारा देश है और देश है तो हम हैं. ऐसे शहीदों को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं और श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. जय हिंद, जय जवान, जय किसान.'

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