कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही संसदीय प्रवर समिति के अध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कानून बनाना मददगार हो सकता है, लेकिन उसे समाप्त करने में यह कोई निर्णायक भूमिका नहीं निभा सकता है.
मध्यप्रदेश रेडक्रास सोसायटी के एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अनौपचारिक बातचीत में चतुर्वेदी ने कहा, ‘किसी सामाजिक दोष को दूर करने में कानून सहायक तो हो सकता है, लेकिन निर्णायक नहीं हो सकता है’
उनसे पूछा गया था कि उनकी नजर में भ्रष्टाचार मिटाने में लोकपाल कितना मददगार होगा.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार जैसे सामाजिक दोष को दूर करने के लिए समाज को स्वयं बदलने की आवश्यकता है और सामाजिक स्तर पर कठोर पहल करने की जरूरत है. उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एवं बाबा रामदेव का नाम लिए बिना कहा कि लोकपाल कानून बनाने तक मांग उचित है, लेकिन जब संसद में इसकी प्रक्रिया चल रही है, तो आंदोलन करने का औचित्य नहीं है.
कानून तो संसद में ही बनना है, उसे जंतर-मंतर अथवा रामलीला मैदान पर आंदोलन कर तो नहीं बनाया जा सकता है.
लोकपाल विधेयक पर विचार कर रही संसदीय प्रवर समिति कब तक अपनी रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर देगी, इस सवाल पर चतुर्वेदी ने कहा कि समिति विभिन्न राजनीतिक दलों, समाज के विभिन्न वर्गो से विचार और सुझाव ले रही है, सभी पक्षों को सुनना एक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए नहीं कहा जा सकता है कि वह कब तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. समिति इस काम को यथाशीघ्र पूरा करना चाहती है. प्रवर समिति कानूनी एवं संवैधानिक विशेषज्ञों से बात करेगी और सार्वजनिक माध्यमों से आम जनता से सुझाव एवं परामर्श मंगाए जाने की सूचना जारी की गई है.
एक अन्य सवाल के जवाब में समिति अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय प्रवर समिति पर कोई दबाव नहीं डाल सकता है, वह केवल संविधान एवं संसदीय प्रक्रिया के तहत ही काम करती है.
उनसे पूछा गया था कि क्या लोकपाल विधेयक को लेकर अन्ना हजारे एवं बाबा रामदेव के आंदोलन का वह कोई दबाव महसूस कर रही है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अनशन एवं आंदोलन करना सबका अधिकार है, लेकिन जो काम संसद में लंबित है, तब आंदोलन से कोई हल नहीं निकलने वाला नहीं है.
टीम अन्ना द्वारा राजनीतिक दल गठित करने संबंधी ऐलान को लेकर पूछने पर उन्होंने कहा कि उनका यह इरादा तो पहले भी जाहिर था, घोषणा उन्होंने अब की है. देश में पचास से अधिक राजनीतिक दल हैं और कांग्रेस इन सबके खिलाफ चुनाव लड़ती आई है. अब एक और राजनीतिक दल बनने से क्या फर्क पड़ने वाला है, क्योंकि हमारा संविधान हर नागरिक को चुनाव लड़ने का अधिकार देता है.
मध्यप्रदेश में पार्टी के अंदर गुटबाजी संबंधी सवाल पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा से राजनीतिक लड़ाई के लिए सब पार्टीजनों को संगठित प्रयास करने जरूरी हैं. हमें जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दों पर संघर्ष करना होगा.