विधि आयोग भी देशभर में एक साथ लोकसभा और विधान सभाओं के चुनाव कराने पर जल्दी ही अपनी सिफारिश देने वाला है. फिलहाल आयोग ने इस बाबत विचार करने के लिए मसौदा तैयार कर लिया है.
आयोग 15 अप्रैल के बाद इस बाबत सभी तरह की कानूनी, संवैधानिक और व्यवहारिक संभावनाओं और उपायों पर विचार करेगा.
विधि आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में संशोधन की भी सिफारिश होगी. आयोग इस पर भी विचार करेगा कि ऐसी शुरुआत के लिए कुछ विधान सभाओं का कार्यकाल 3 से 30 महीनों तक बढ़ाने को मंजूरी देने के लिए संविधान में संशोधन किए जाएं. साथ ही किसी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव आए और पास हो जाए तो ऐसी स्थिति में बाकी बचे कार्यकाल को कैसे व्यवस्थित किया जाए, इस पर भी आयोग अपनी सिफारिश देगा.
आयोग में चर्चा के लिए तैयार मसौदे के मुताबिक तीन से 30 महीनों के बीच करीब 19 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. मसलन कर्नाटक और मिजोरम में 2018 के मध्य में, फिर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, इसके बाद 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, जम्मू-कश्मीर की विधानसभाओं के कार्यकाल खत्म होंगे. 2022 में उत्तर प्रदेश और पूर्वी राज्यों का नंबर आएगा.
ऐसे में माना जा रहा है कि जिन राज्यों में 2018 के अंत और 2019 के शुरुआत में चुनाव होने हैं उनको तो इसमें शामिल किया जा सकता है. उनके अलावा बीजेपी या एनडीए शासित राज्यों को भी इसमें सरकार शामिल कर सकती है.
सरकार की कोशिशों के इतर बड़ा सवाल यह है कि बजट सत्र की तरह ही संसद के अगले सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ गए तो ये सारी कवायद सिरे कैसे चढ़ेगी? यानी प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर विधि आयोग की सिफारिशों के बावजूद अमल इस मामले में बेहद पेचीदा बना हुआ है.