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राजनीतिक दलों को रास नहीं आ रहा 'एक देश-एक चुनाव' का फॉर्मूला

ये भी अलग बात है कि पीएम ने इस विचार को रफ्तार दी कि एक देश एक चुनाव से देश के विकास की गाड़ी को नई ऊर्जा मिलेगी. हजारों करोड़ रुपये बचेंगे. ये अलग बात है कि इस मुद्दे पर विधि आयोग ने राजनीतिक दलों से मिलने और चर्चा का न्यौता भेजा तो बीजेपी ने अब तक अपना जवाब नहीं भेजा है कि आखिर उसकी नुमाइंदगी कौन करेगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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एक देश एक चुनाव का एजेंडा अधिकतर राजनीतिक दलों को रास नहीं आ रहा. विधि आयोग ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले राजनीतिक दलों से उनका रुख जानना चाहा है. शनिवार से मीटिंग के दौर की शुरुआत हुई तो अधिकतर राजनीतिक दल इसके खिलाफ झंडा उठाये ही नजर आये. इनमें कुछ तो घोषित तौर पर विपक्षी दल हैं लिहाजा वो प्रधानमंत्री के ख्वाब के खिलाफ हैं. लेकिन एनडीए के घटक दलों में से भी कई इसके खिलाफ हैं.

ये भी अलग बात है कि पीएम ने इस विचार को रफ्तार दी कि एक देश एक चुनाव से देश के विकास की गाड़ी को नई ऊर्जा मिलेगी. हजारों करोड़ रुपये बचेंगे. ये अलग बात है कि इस मुद्दे पर विधि आयोग ने राजनीतिक दलों से मिलने और चर्चा का न्यौता भेजा तो बीजेपी ने अब तक अपना जवाब नहीं भेजा है कि आखिर उसकी नुमाइंदगी कौन करेगा. कोई नुमाइंदा आयोग जाएगा भी या नहीं. कांग्रेस का भी यही हाल है.  

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विधि आयोग का परिसर शनिवार के बावजूद गहमा गहमी भरा रहा. एक के बाद एक राजनीतिक दलों के नुमाइंदे आते रहे और आयोग के चेयरमैन जस्टिस वीएस चौहान से बात कर अपनी पार्टी का रुख जताते रहे. बाहर आकर मीडिया को बताते कि उनकी पार्टी आखिर क्यों इसका विरोध या समर्थन कर रही है.

सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी पहुंचे और उन्होंने बताया कि देश में संसदीय प्रणाली और संविधान के मुताबिक शासन चल रहा है. ऐसे में ये सिस्टम व्यावहारिक नहीं है. केंद्र सरकार अगर बीच कार्यकाल में ही गिर जाए तो क्या सारी विधान सभाओं के चुनाव साथ होंगे. राज्य सरकारें गिर जाएं तो क्या लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने का इंतजार होगा. ये कई सवाल हैं जिनको देखते हुए क्षेत्रीय पार्टियां किसी भी सूरत में इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकतीं.

इसके बाद एनडीए के घटक दलों में से एक गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई पहुंचे.  गोवा सरकार में मंत्री सरदेसाई ने कहा कि हम इसके खिलाफ हैं. क्योंकि इससे हमारे क्षेत्रीय मुद्दे, हमारी समस्याएं कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाएंगी. सरकार को समर्थन और मोर्चा का घटक रहना अलग विषय है, लेकिन इस बारे में हम समर्थन नहीं कर रहे.

वामपंथी दल सीपीआई नेता अतुल अनजान ने भी कहा कि आज तो पीएम चाहते हैं एक देश एक चुनाव कल को कहेंगे एक देश नो चुनाव. फिर एक देश एक टैक्स का खामियाजा तो देश भुगत रहा है. अब ये अलग नाटक. देश को राष्ट्रपति चुनाव तक सीमित रखने के लिए किसी भी सरकार को छूट नहीं दी जा सकती.

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आयोग में राजनीतिक दलों से मीटिंग का दौर रविवार और मंगलवार को भी जारी रहेगा. अब तक 14 राजनीतिक दलों ने अपने नुमाइंदों के आने की सूचना आयोग को दी है. उम्मीद की जा रही है कि आयोग अगले इस महीने के आखिरी हफ्ते तक इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय को दे देगा.

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