विधि आयोग भी देश भर में एक साथ लोकसभा और विधान सभाओं के चुनाव कराने के चर्चित मुद्दे पर मंगलवार 17 अप्रैल को पहली बैठक करने जा रहा है. विधि आयोग के संविधान, कानून और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ सदस्य इस मामले से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे. फिलहाल आयोग ने इस बाबत विचार करने के लिए मसौदा तैयार किया है. आयोग इस बाबत सभी तरह की कानूनी, संवैधानिक और व्यावहारिक संभावनाओं व उपायों पर विचार करेगा.
बढ़ाना होगा कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल
विधि आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में संशोधन की भी सिफारिश होगी. आयोग इस पर भी विचार करेगा कि ऐसी शुरुआत के लिए कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल 3 से 30 महीनों तक बढ़ाने को मंजूरी देने के लिए संविधान में संशोधन किया जाए. साथ ही किसी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव आए और पास हो जाए तो ऐसी स्थिति में बाकी बचे कार्यकाल को कैसे व्यवस्थित किया जाए, इस पर भी आयोग विचार करेगा.
आयोग में चर्चा के लिए तैयार मसौदे के मुताबिक तीन से 30 महीनों के बीच करीब 19 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. मसलन कर्नाटक और मिजोरम में 2018 के तक, फिर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, इसके बाद 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, जम्मू कश्मीर की विधानसभाओं के कार्यकाल खत्म होंगे. 2022 में उत्तर प्रदेश और पूर्वी राज्यों का नंबर है.
अगर आगे संसद सत्रों में जारी रहा हंगामा...
ऐसे में माना जा रहा है कि जिन राज्यों में 2018 के अंत और 2019 की शुरुआत में चुनाव होने हैं, उनको तो इसमें शामिल किया जा सकता है. उनके अलावा बीजेपी या एनडीए शासित राज्यों को भी इसमें सरकार शामिल कर सकती है. लेकिन बड़ा सवाल है कि बजट सत्र की तरह ही संसद के अगले सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ गए तो क्या होगा.