सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी नहीं है. ये जानकारी लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी. उन्होंने कहा कि 2009 के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एकसाथ 31 जज काम पर हैं. हालांकि, 1 जुलाई 2019 तक राज्यों के हाईकोर्ट में 403 जजों के पद खाली हैं.
रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा, 'हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति सरकार और न्यायपालिका के बीच लगातार चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि इसके लिए संवैधानिक प्राधिकारों से कई स्तरों पर सलाह मशविरा कर मंजूरी लेनी पड़ती है.'
Union Minister RS Prasad in Lok Sabha: There is no shortage of judges in SC. SC has reached its full strength of 31 Judges for the first time since 2009. However, as on 1 July,19 there are 403 vacancies in the High Courts. (file pic) pic.twitter.com/wvO911T33w
— ANI (@ANI) July 10, 2019
न्यायपालिका में आरक्षण के मुद्दे पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 'आर्टिकल 235 के मुताबिक, राज्यों में जिला और सबऑर्डिनेट ज्यूडिशरी के सदस्यों पर प्रशासनिक अधिकार वहां के हाईकोर्ट का होता है. हाईकोर्ट के जजों की नियुक्त का अधिकार चीफ जस्टिस के पास होता है. इसके अलावा राज्य सरकारें हाईकोर्ट के साथ राय सलाह कर नियुक्ति, प्रमोशन और आरक्षण के लिए नियम बनाती हैं. इसलिए केंद्र सरकार का इसमें कोई रोल नहीं है.'
गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम और केंद्र सरकार में तकरार हो चुकी है. उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ की नियुक्ति को लेकर जब कॉलेजियम ने सिफारिश की थी, तब भी केंद्र सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी. जिसपर काफी विवाद हुआ था, हालांकि बाद में जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति हो गई थी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में सर्वोच्च अदालत के शीर्ष पांच जज शामिल होते हैं. इनमें चीफ जस्टिस के अलावा क्रमानुसार शीर्ष अन्य चार जज शामिल होते हैं. यानी अभी CJI रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नरीमन शामिल हैं.