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कानून: नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएस-आइयू) कब तक द्वितीय स्थान पर बनी रह सकती थी. इस साल के सर्वेक्षण में उसने सर्वोच्च स्थान हासिल कर लिया है.

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नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएस-आइयू) कब तक द्वितीय स्थान पर बनी रह सकती थी. इस साल के सर्वेक्षण में उसने सर्वोच्च स्थान हासिल कर लिया है. पिछले साल उसके पहले स्थान के दबदबे को तोड़ देने वाली हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (नलसर) इस साल दूसरे स्थान पर है. उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ लॉ तीसरे स्थान पर है. इस साल 25 आला कॉलेजों की सूची में कोच्चि स्थित कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी का स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज, बंगलुरू स्थित एम.एस. रमैया कॉलेज ऑफ लॉ और अहमदाबाद स्थित गुजरात यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ लॉ जैसे संस्थान भी हैं.

अनूठी शिक्षण प्रणली
एनएलएसआइयू के आला दर्जा प्राप्त करने से यह आश्चर्य नहीं है कि कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) में सर्वोच्च स्थान पाने वाले 50 छात्र पांच साल का व्यापक आवासीय कानूनी प्रशिक्षण पाने के लिए बंगलुरू स्थित इस संस्थान के पसरे हुए नागरभावी परिसर में क्यों जुटते हैं. मई, 2009 में एनएलएसआइयू के कुलपति का पद संभालने वाले आर. वेंकटराव कहते हैं, ''देश के किसी भी लॉ स्कूल के लिए तीन सेमेस्टर वाली प्रणाली अनूठी है, जिसका मतलब है कि छात्रों-शिक्षकों को छुट्टियों या लंबे समय की आरामतलबी की जगह पढ़ाई के लिए पूरी मेहनत करनी है.''

नित नई खोज का अधिकार
प्रोफेसर राव के लिए बंगलुरू से जुड़ा आइटी महज इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का शब्द संक्षेप नहीं है. यह 'इंडियन टैलेंट' (भारतीय प्रतिभा) का भी प्रतीक है, जिसकी बेहतरीन मिसाल यह है कि ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड या येल विश्वविद्यालयों में जाने वाले एनएलएसआइयू के छात्रों को कम-से-कम दो या तीन स्कॉलरशिप मिलती हैं. यहां ज्यादातर प्रतिभाओं के फलने-फूलने का कारण यह है कि कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों को प्रयोग करने और नित नई खोज का अधिकार दे रखा है. वे अपने साथियों के साथ मिलकर कानून की पत्रिकाएं भी निकालते हैं जिनमें से ज्यादातर का वितरण दुनिया भर में होता है.

विविद्य कार्यक्रमों का संचालन
डेंट बार एसोसिएशन का अपना संविधान है और वह लॉ स्कूल में अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करती है. उसने बहस-मुबाहिसों, कानूनी सेवाओं, साहित्यिक-सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं अथवा अकादमिक प्रकाशनों जैसे क्षेत्रों में अलग मुकाम पाने में स्कूल की सहायता की है. ऑस्ट्रेलिया स्थित सिडनी में मैनफ्रेड लैस स्पेस लॉ मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन के एशिया-प्रशांत राउंड और बार कौंसिल ऑफ इंडिया नेशनल मूट कोर्ट कॉम्पिटिशन में एनएलएसआइयू को विजेता घोषित किया गया.

कैम्‍पस में होती है द. एशिया की सबसे बड़ी बहस प्रतियोगिता
स्कूल के छात्रों ने वाशिंगटन डीसी के फिलिप सी जोसेफ कॉम्पिटिशन के अंतरराष्ट्रीय दौर के क्वार्टर फाइनल राउंड के लिए भी क्वालिफाई किया. अगर मनोरंजन के पक्ष को देखें तो यह स्कूल भारत का छात्रों की ओर से आयोजित सबसे बड़ा रॉकशो स्ट्राबेरी फील्ड्स का आयोजन करता है जबकि गंभीर पक्ष के तौर पर एनएलएस डिबेट संसदीय शैली में दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी बहस प्रतियोगिता है जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में बड़ा आकर्षण है.

आर्थिक मंदी से अछूता
जहां आर्थिक मंदी की वजह से नामी-गिरामी बिजनेस स्कूलों में भी भर्तियां प्रभावित रही हैं, वहीं एनएलएसआइयू में 100 फीसदी प्लेसमेंट होने से वह आर्थिक मंदी से अछूता रहा है. छात्रों के लिए पूरी तरह से जुड़ी कंप्यूटर प्रयोगशाला के अलावा 2 करोड़ रु. की लागत वाली स्कूल की लाइब्रेरी में 70,000 किताबें हैं. यहां आने वाली  मूट कोर्ट (कचहरी का अभ्यास) टीमों के लिए अलग से कुछ कमरे हैं. स्कूल राष्ट्रीय विधिक सूचना केंद्र की स्थापना के लिए देश में कानून के पुस्तकालयों की नेटवर्किंग में लगा हुआ है.

बुनियादी संरचना को विस्तार देने की उम्मीद
1987 में कर्नाटक विधानसभा में कानून पारित होने के बाद स्थापित यह स्कूल अपनी बुनियादी संरचना को विस्तार देने की उम्मीद कर रहा है ताकि ज्यादा छात्रों को प्रवेश दे सके. केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने, जो खुद वकील हैं, स्कूल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद का आश्वासन दिया है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षित वकील और  कभी एनएलएसआइयू में भी छात्र रहे प्रशांत देशपांडे कहते हैं, इस स्कूल में अनूठी बात यह है कि पांच साल के अंडरग्रेजुएट कोर्स में कला और समाज विज्ञानों का मिश्रण जबर्दस्त है और कानून के नियमित विषयों के साथ इतिहास और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों का समावेश किया गया है.'' एक अग्रणी राजनैतिक दल के लिए कानूनी सलाहकार की भूमिका निभाने वाले और सक्रिय राजनैतिक कार्यकर्ता देशपांडे का कहना है कि लॉ स्कूल के प्रशिक्षण के चलते ही मैं भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में खास भूमिका निभाने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित हुआ. 

पूर्व छात्रों का सहयोग
तरह आइआइटी के पूर्व छात्र अपनी मातृ संस्थाओं को सहयोग दे रहे हैं, वैसे ही 20 से अधिक देशों में रहने वाले एनएलएसआइयू में पढ़े हुए पूर्व छात्र गुरु दक्षिणा देने के लिए तैयार हो रहे हैं यानी कृतज्ञता जताने के अलावा कुछ अन्य कामों में भी सहयोग कर रहे हैं. इस उपक्रम में फोकस इंडिया जैसे सम्मेलन महत्वपूर्ण प्रयासों में से है. मई, 2009 में स्कूल के परिसर में एनएलएसआइयू के पूर्व छात्रों की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में महत्वपूर्ण आर्थिक और कानूनी मुद्दों पर चर्चा हुई.

नेशनल लॉ स्कूल पूरब का हार्वर्ड
30 साल से अधिक समय तक अध्यापन कार्य करने वाले एनएलएसआइयू के कुलपति वेंकटराव कहते हैं, ''बरसों से यह कहा जाता रहा है कि नेशनल लॉ स्कूल पूरब का हार्वर्ड है. लेकिन हमारा मानना है कि लोग हार्वर्ड को पश्चिम का बंगलुरू कहें, तब तक हम लोग चैन से नहीं बैठेंगे.'' 
और न ही उसकी करीबी प्रतिद्वंद्वी नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च (नलसर) यूनिवर्सिटी चैन से बैठेगी. हैदराबाद के उत्तरी उपनगर में छह साल से चला आ रहा नलसर कानूनी शिक्षा के मामले में नए मानक स्थापित कर रहा है.

माइक्रोसॉफ्ट के साथ नलसर
नलसर के कुलपति वीर सिंह कहते हैं, ''हम ऐसे अग्रणी विषयों के कोर्स चलाते हैं जिनमें विशिष्ट कानून परिवर्तन लाते हैं, जैसे संपत्ति, उड्डयन एवं अंतरिक्ष, जोखिम एवं बीमा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के कोर्स. इनमें ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को उत्कृष्ट प्लेसमेंट दर का लाभ मिलता है क्योंकि बार, विधि कंपनियों, निगमों और सरकारी एजेंसियों को पता है कि हमारे ग्रेजुएट समस्याओं का समाधान करने की तकनीकों और व्यावहारिक कौशल से लैस होते हैं.''

इतने कम समय में खासे तेज विकास की झलक इस बात में मिलती है कि आज नलसर विदेश के 21 विश्वविद्यालयों के साथ छात्रों और अध्यापकों की अदला-बदली और सहयोगात्मक अनुसंधान का समझैता करने लगा है. माइक्रोसॉफ्ट ने उसके साथ बौद्धिक संपदा अधिकारों में शोध करने की खातिर हर साल तीन छात्रों को छात्रवृत्ति देने के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. इसकी इस तरह की पहचान के चलते इस साल सर्वोच्च स्थान पर विराजमान हुई एनएलएसआइयू को अपनी करीबी प्रतिद्वंद्वी पर लगातार नजर रखनी होगी. -साथ में, अमरनाथ के. मेनन

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