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समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने लोगों से मांगे विचार

 लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता पर आम लोगों से विचार मांगे हैं. साथ ही लॉ कमीशन ने पब्लिक नोटिस जारी कर आम जनता और संगठनों से अपील की है कि वो मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला, बहुविवाह, मुताह और मिस्यार निकाह जैसे मामलों पर अपनी राय न भेजें.

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लॉ कमीशन की अपील है कि तीन तलाक पर विचार न भेजे जाएं
लॉ कमीशन की अपील है कि तीन तलाक पर विचार न भेजे जाएं

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यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता पर अब जल्द ही जनता के बीच बहस छिड़ने वाली है. जाहिर है बहस राजनीतिक भी होगी. सड़क पर जनता चर्चा करेगी तो संसद में जनप्रतिनिधि. एक ओर संवैधानिक बुनियादी अधिकार और दूसरी ओर धार्मिक स्वतंत्रता. यानी एक और घमासान होना तय है.   

दरअसल, लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता पर आम लोगों से विचार मांगे हैं. साथ ही लॉ कमीशन ने पब्लिक नोटिस जारी कर आम जनता और संगठनों से अपील की है कि वो मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला, बहुविवाह, मुताह और मिस्यार निकाह जैसे मामलों पर अपनी राय न भेजें. क्योंकि इन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करने जा रही है.

लॉ कमीशन ने अपील में साफ किया है कि तीन तलाक के मुद्दे पर विचार नहीं किया जाएगा. क्योंकि वो मुद्दा कोर्ट का फैसला आने के बाद फिलहाल संसद में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी सोमवार को मुस्लिमों में प्रचलित निकाह हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था.

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दरअसल, 19 मार्च को लॉ कमीशन ने अपील जारी कर आम जनता और संगठनों से समान नागरिक संहिता पर विस्तृत राय और विमर्शपत्र भेजने का आग्रह किया था. आयोग ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर विचार विमर्श के लिए लोगों को आयोग में भी बुलाया जा सकता है.

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