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बंगाल में बवाल के बीच राष्ट्रपति शासन की मांग, येचुरी बोले- हम पक्ष में नहीं

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में शुरू हुई हिंसा का दौर चुनाव के बाद भी जारी है. बढ़ती हिंसा की घटनाओं के कारण प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है.

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सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी  (फाइल फोटो)
सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)

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पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद बढ़ रही हिंसा की घटनाओं के बीच राजनीतिक गलियारों में राष्ट्रपति शासन की चर्चा हो रही है. लेफ्ट ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर विरोध जताया है. सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के सवाल पर अपना विरोध जताते हुए कहा कि लेफ्ट किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के पक्ष में नहीं है.

क्यों होने लगी राष्ट्रपति शासन की चर्चा

बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित हत्या के बाद बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो भाजपा पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग कर सकती है. उधर, सोमवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा कर राज्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

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भाजपा और टीएमसी का आरोप प्रत्यारोप

लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. भाजपा का आरोप है कि चुनावी नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोग भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं और उनकी सियासी हत्या हो रही है. जबकि टीएमसी ने उल्टे भाजपा पर आरोप लगाया है कि बीजेपी के लोग राजनीतिक हत्या को अंजाम दे रहे हैं.

भाजपा और टीएमसी दोनों दलों के आरोप प्रत्यारोप के बीच राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी का दिल्ला दौरे के कारण सियासी गलियारों में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की चर्चा होने लगी है. राज्य में कभी तीन दशक से ज्यादा सालों तक सत्ता में रहने वाली सीपीआईएम प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का विरोध कर रही है. गौरतलब है कि चुनाव के दौरान लेफ्ट ने पश्चिम बंगाल में भाजपा और टीएमसी के मिलेजुले होने का आरोप लगाया था.

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