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मशहूर गायक मन्ना डे का 94 साल की उम्र में निधन, पूरा फिल्म जगत गमगीन

शास्त्रीय संगीत की दुनिया के सम्राट मन्ना डे के पार्थिव शरीर का कुछ देर बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा. बैंगलोर के हब्बल में मन्ना डे का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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मन्ना डे का निधन
मन्ना डे का निधन

शास्त्रीय संगीत की दुनिया के सम्राट मन्ना डे के पार्थिव शरीर का कुछ देर बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा. बंगलुरू के हब्बल में मन्ना डे का अंतिम संस्कार किया जाएगा. 94 साल की उम्र में उन्होंने बंगलुरू में गुरुवार सुबह 3 बजकर 50 मिनट पर आखिरी सांस ली. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे.

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मन्ना डे के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है. कुछ दिनों पहले पार्श्व गायक मन्ना डे को छाती में संक्रमण के चलते बैंगलोर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी.

उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे.

लाजवाब प्लेबैक सिंगर मन्ना डे की अनदेखी तस्वीरें...

मन्ना डे की दो बेटियां हैं. एक बेटी अमेरिका में रहती है. उनके दामाद ने बताया ‘उनके निधन से हम सब बेहद दुखी हैं. अंतिम समय में उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई.’

मन्ना डे के पार्थिव शरीर को बंगलुरू में स्थित रविन्द्र कलाक्षेत्र में लोग की श्रद्धांजलि के लिए रखा गया. हालांकि उन्होंने मुंबई में 50 साल से अधिक समय बिताया था लेकिन पिछले कई सालों से वो बंगलुरू में रह रहे थे.

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1 मई 1919 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में जन्मे मन्ना डे ने अपने करियर में 4000 से ज्यादा गाने गाए. मन्ना डे ने 1942 में फिल्म तमन्ना से अपने करियर की शुरुआत की. इस फिल्म में उन्होंने सुरैया के साथ गाना गाया था जो काफी चर्चित रहा.

चली गई सुरीली आवाज

मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्हें 1971 में पद्मश्री और 2005 में पद्म विभूषण से नवाजा गया. 2007 में उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने हिंदी, बंगाली समेत मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड और असमिया में भी गाने गाये. मन्ना डे का असली नाम प्रबोध चंद्र डे है.

मन्ना डे ने अपने करियर में हर तरह के गाने गाए. काबुलीवाला का 'ए मेरे प्यारे वतन' और आनंद का 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय' आज भी संगीतप्रेमियों के दिल को छू जाता है. उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति ‘मधुशाला’ को भी आवाज दी. इसके अलावा 'पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई', 'लागा चुनरी में दाग़', 'आयो कहां से घनश्याम' 'सुर न सजे', 'कौन आया मेरे मन के द्वारे', 'ऐ मेरी जोहर-ए-जबीं', 'ये रात भीगी-भीगी', 'ठहर जरा ओ जाने वाले', 'बाबू समझो इशारे', 'कसमे वादे प्यार वफा' जैसे गीत भी काफी पंसद किए गए.

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सदमे में बॉलीवुड
मन्ना डे के निधन से बॉलीवुड सदमे में है. कुछ प्रतिक्रियाएं-
अमिताभ बच्चन: संगीत संसार का महारथी चला गया.
जावेद अख्तर: ऐसे लोगों का मिलना मुश्किल होता है. वह एक संपूर्ण गायक थे.
मनोज वाजपेयी: उनका संगीत एक हजार साल तक जिंदा रहेगा.
ऊषा उत्थुप: उनके निधन से गहरा धक्का पहुंचा है.
महेश भट्ट: मन्ना डे चले गए लेकिन उनकी आवाज हमेशा जिंदा रहेगी.

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