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लेह प्रशासन ने लगाई चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर मुहर

भारतीय सीमा में चीनी सेना की घुसपैठ पर लेह के प्रशासन ने मुहर लगा दी है. लेह के डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक, लेह के कुयूल और डोलेथांग इलाके में चीन के फौजियों ने घुसपैठ की.

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भारतीय सीमा में चीनी सेना की घुसपैठ पर लेह के प्रशासन ने मुहर लगा दी है. लेह के डिप्टी कमिश्नर ने वहां के डिविजनल कमिश्नर को एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी के मुताबिक, लेह के कुयूल और डोलेथांग इलाके में चीन के फौजियों ने घुसपैठ की और वहां के स्थानीय लोगों को डराया धमकाया. उन फौजियों ने स्थानीय लोगों के टेंट भी तोड़ दिए. फौजियों ने लोगों को धमकी भी दी कि वो इलाके को छोड़कर चले जाएं.

आखिर चीन चाहता क्‍या है
ये कह पाना बहुत मुश्किल है कि चीन अपनी इन हरकतों से क्‍या जताना चाहता है. ना जाने उसके मन में भारत को लेकर क्या है. लगातार सरहदें लांघना, दोस्ती की आड़ में लड़ाई की तैयारी करना और भारत की सरहद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहना चीन की फितरत सी बन गई है. सेना सूत्रों की मानें, तो चीनी फौज ने लद्दाख की सीमा में करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर आकर वहां के पत्थरों पर लाल रंग से चीन लिख दिया है. ये घुसपैठ लद्दाख के माउंट ग्या इलाके में हुई है. ये वो इलाका है जहां जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और लाहौल स्फिति के इलाके मिलते हैं. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है, जब चीन ने इस कदर भारत की सीमा में घुसपैठ की है.

तीन महीने पहले भी चीन ने की थी घुसपैठ
तीन महीने पहले भी चीन के दो एम आई हेलीकॉप्टरों ने भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन किया था. खुफिया जानकारी के मुताबिक लेह के पेंगांग झील के आस-पास रहने वालों ने 21 जून को इन चीनी हेलीकॉप्टरों को उड़ते देखा था. इन हेलीकॉप्टरों ने करीब 5 मिनट तक इलाके में चक्कर लगाए और वहां खाने के पैकेट भी गिराए थे. खुफिया जानकारी के मुताबिक अगस्त के महीने में लेह इलाके में चीनी सेना की घुसपैठ में काफी इजाफा हुआ है. चीनी गश्ती दलों ने इस महीने 26 बार घुसपैठ की. जाहिर है चीनी फौज की लगातार बढ़ रही इस घुसपैठ पर भारत सरकार बेहद फिक्रमंद है. इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय की बैठक भी हुई. हालांकि, विदेश मंत्री एस एम कृष्णा का कहना है कि दोनों देशों के बीच कोई तनाव नहीं है. कृष्‍णा का कहना है कि चीनी घुसपैठ पर चिंता करने की जरूरत नहीं है और चीन के साथ सीमा विवाद पर बातचीत जारी है.

चीन नहीं मानता मैकमोहन रेखा को
चिंता इस बात की है कि भारत ने कई बार कोशिश की लेकिन, अब तक ना तो चीन इस बात को समझने की कोशिश कर रहा है और ना ही सरहद की मर्यादा को समझता है. सवाल ये उठते हैं कि विवाद सुलझाने की कोशिशें भी कई बार हो चुकी हैं पर अबतक कोई नतीजा नहीं निकला है. चीन जिस सीमा का बार-बार उलंघन कर रहा है, वो अंग्रेजों के जमाने में तय की गई मैकमोहन रेखा है. लेकिन ये विवाद है कि आजतक थमा ही नहीं. चीन लगातार भारत पर दबाव बनाता रहा है. इसी कड़ी में उसने अब तक का सबसे बड़ा सैनिक अभ्यास भी किया है. सबसे खास बात ये कि इस अभ्यास के जरिए चीन हाई स्पीड ट्रेनों के जरिए भारतीय सीमा पर तेजी से सैनिक तैनाती की अपनी ताकत को परखने की कोशिश भी कर रहा है.

चीन लगा है अपनी ताकत दिखाने में
चीन को लगता है कि वो अपनी ताकत भारत पर दिखाकर पूरी दुनिया को डरा सकता है और इसलिए वो लगातार लगा हुआ है अपनी ताकत दिखाने में. वो लगा हुआ है भारत की घेरेबंदी में. इसके लिए चीन ने पकड़कर रखी है भारत की एक कमजोर कड़ी अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका. ये वही इलाका है, जहां 1962 की जंग के बाद चीन ने अपना जबरन कब्जा बना लिया. उस जंग के बाद से तो चीन ने अरुणाचल प्रदेश तक को अपना ही हिस्सा कहना शुरू कर दिया. सैनिक ताकत तो वो दिखाता रहा है. अब वो आर्थिक मामलों में भी अड़ंगे डालने लगा है. चीन अब भारत को मिलने वाली आर्थिक मदद को भी रोकने की कोशिश करने लगा है. एशियन डेवेलपमेंट बैंक से मिलने वाले लोन पर चीन ने ये कहकर रोक लगाने की कोशिश की कि चूंकि इस राशि का इस्तेमाल अरुणाचल प्रदेश में होने वाला है और उस इलाके में तवांग भी आता है, जो विवादित है. मतलब ये कि खुद तो परेशान करते ही थे. अब दूसरे संस्थानों पर दबाव बनाकर भी भारत को परेशान करने की साजिश जारी है.

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