मलबों और कीचड़ के बीच बचावकर्मी लापता करीब 500 लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं जो शुक्रवार को लेह क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद से लापता हैं.
इस बीच घटना में मृतकों की घटना बढ़कर 145 हो गयी है. एक समय अपने नयनाभिराम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र में सिर्फ तबाही का मंजर है. जगह जगह टूटे घरों, गाद, घुटने तक कीचड़ और मलबों को देखकर ही विभीषिका का अनुमान लगाया जा सकता है.
चोगलुमसर आपदा से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में से है. घुटने भर कीचड़ के बावजूद भारत तिब्बत सीमा पुलिस, सेना और जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स के जवान तत्परता से जुटे हुए हैं. गाद, पत्थरों और मलबों को हटाने के लिए क्रेन, अर्थ मूवर्स सहित अन्य मशीनों की मदद ली जा रही है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बादल फटने और उसके बाद आयी बाढ़ के कारण मृतकों की संख्या बढ़कर 145 हो गयी है जबकि 500 से अधिक अब भी लापता हैं. सेना और आईटीबीपी ने घायलों की देखभाल के लिए कई शिविर स्थापित किए हैं. आईटीबीपी ने बेघर लोगों के लिए सड़कों के किनारे सामुदायिक रसोईघर बनाए हैं.
सूत्रों के अनुसार फ्रांस के दो नागरिकों के शव मलबे से बरामद कर लिए गए हैं. उनकी पहचान औगरिवेलस और हेलॉट के रूप में हुई है.