संसद के 22 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में राजग ने एफडीआई वापस लेने का प्रस्ताव देने का फैसला किया है. वहीं राजग ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.
सरकार ने बहुमत का विश्वास जताते हुए मंगलवार को कहा कि जरूरत पडने पर वह संसद में इसे साबित करने को तैयार है. राजग ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के फैसले के खिलाफ सरकार के खिलाफ संसद में ऐसा प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है, जिसमें मत विभाजन का प्रावधान हो.
एफडीआई पर सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी बंद का समर्थन कर रहे सभी राजनीतिक दलों से राजग ने अपील की है कि वे संसद में उसके प्रस्ताव का समर्थन करें.
ममता से दूरी ना बने इसलिए राजग ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी अपने विकल्प खुले रखे हैं. तृणमूल के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अभी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है हालांकि ममता ने अपने प्रयास में वाम दलों का सहयोग लेने से भी परहेज नहीं किया है.
ममता ने कहा कि यदि माकपा चाहे तो वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये और तृणमूल उसका समर्थन करेगी. उधर लोकसभा में नेता सदन और केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि सरकार को कोई भय नहीं है और उसके पास बहुमत है.
शिंदे ने सभी राजनीतिक दलों से संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील की. संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने भी कहा कि सरकार के पास अपेक्षित बहुमत है और जरूरत पडने पर वह इसे साबित करने को तैयार है.
राजग ने कहा कि सरकार ने सात दिसंबर 2011 को संसद में दिये आश्वासन का उल्लंघन किया है. सरकार ने कहा था कि जब तक राजनीतिक दलों और राज्यों के साथ आम सहमति नहीं बन जाती, वह एफडीआई पर फैसले को किनारे ही रखेगी.
बयान में कहा गया कि राजग एफडीआई पर सरकार के फैसले के खिलाफ देशव्यापी बंद का समर्थन करने वाले सभी राजनीतिक दलों से अपील करता है कि वे उसके प्रस्ताव का समर्थन करें.
शनिवार की बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली, पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, राजग संयोजक शरद यादव, अकाली दल नेता नरेश गुजराल, शिवसेना नेता अनंत गीते, जदयू नेता शिवानंद तिवारी और हरियाणा जनहित पार्टी के नेता कुलदीप बिश्नोई ने हिस्सा लिया. इससे पहले सुबह आडवाणी के निवास पर ही भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी.